क्या आप भारत में चल रहे धर्म‑सम्बंधी कार्यक्रमों को लेकर उत्सुक हैं? टि से जेड पर इस श्रेणी में हर महत्त्वपूर्ण त्यौहार, रिवाज और सांस्कृतिक पहलू का आसान‑साफ़ गाइड मिलता है। यहाँ हम न सिर्फ खबरें बताते हैं, बल्कि आपको बताते हैं कि कैसे आप इन त्योहारों को सही ढंग से मना सकते हैं। पढ़ते रहिए, सीखते रहिए, और अपने जीवन में नई ऊर्जा लाएँ।
नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा को समर्पित है। इस दिन लोग अक्सर घर‑घर में उनकी पूजा करते हैं, क्योंकि माना जाता है कि यह शक्ति और स्वास्थ्य दोनों देता है। अगर आप पहली बार कर रहे हैं, तो सबसे पहले शुभ मुहूर्त देख लें – आमतौर पर सायं 6 बजे से 9 बजे तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है।
पुजा के लिए आपको माँ कूष्माण्डा की प्रतिमा या चित्र चाहिए, साथ में सात‑सात वस्तुएँ जैसे फूल, धूप, जल और हल्दी। इन चीज़ों को उनके आठ भुजाओं में अलग‑अलग रखिए – यह आध्यात्मिक ऊर्जा को संतुलित करता है। फिर शांति से बैठकर मन की इच्छा बताइए; कहा जाता है कि इस दिन के अंश में माँ आपके स्वास्थ्य और मानसिक सुकून का आशीर्वाद देती हैं।
पुजा समाप्त होने पर मिठाई या फल वितरित करना भी शुभ माना जाता है। इससे न केवल घर में खुशी फैलती है, बल्कि पड़ोसियों के साथ संबंध मजबूत होते हैं। अगर आप बाहर जा रहे हों तो छोटे‑छोटे दान (भोजन, कपड़े) देना याद रखें – यह आपके कर्मों को और भी बढ़ाता है।
ईद उल-अधा इस साल 17 जून से 19 जून तक मनाई जाएगी। इस दिन का मुख्य अर्थ क़ुरबानी है, जहाँ इब्राहिम (अलीहिस् सलाम) ने अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह की आज्ञा पर कुर्बान करने की कोशिश की थी। यह त्यौहार एकता और सहनशीलता का प्रतीक है।
मुसलमानों के लिए सबसे पहले जुमे‑अहाद (एकत्रित नमाज़) अहम होती है; इसे मस्जिद या बड़े खुले मैदान में अदा किया जाता है। इसके बाद गोश्त की क़ुरबानी होती है – अक्सर बकरी, भेड़ या बैल का मांस उपयोग किया जाता है। अगर आप घर पर रखते हैं तो ध्यान रखें कि जानवर को मान‑सम्मान के साथ मारें और उसे दर्द न हो।
क़ुरबानी का एक हिस्सा जरूरतमंदों में बाँट देना इस त्यौहार की असली ख़ुशी है। यदि आपके पास पर्याप्त नहीं है, तो आप दाने‑दौलत या पैसे देकर मदद कर सकते हैं; यह भी बहुत मान्य है। साथ ही, ईद पर नए कपड़े पहनना और मिठाई बनाना आम रीति है – इससे माहौल में उत्सव का रंग भर जाता है।
धर्म और संस्कृति के ये दो बड़े त्यौहार हमें सिखाते हैं कि अपने रिवाजों को समझें, उन्हें सही ढंग से मनाएँ और दूसरों की मदद करें। टि से जेड पर आपको हर कदम की पूरी जानकारी मिलेगी – चाहे वह पूजा‑विधि हो या क़ुरबानी का तरीका। अब आप इन पवित्र दिनों को बिना किसी भ्रम के बड़ी खुशी के साथ मना सकते हैं।
अगर आप इस श्रेणी में और भी लेख पढ़ना चाहते हैं, तो नीचे स्क्रॉल करके नवरात्रि की पूरी गाइड या ईद उल‑अधा के विस्तृत टिप्स देखिए। हर त्यौहार का अपना महत्व है, बस उसे समझें और सही समय पर लागू करें। आपका जीवन इन धार्मिक अवसरों से भरपूर हो, यही हमारी दुआ है।
नवरात्रि के चौथे दिन का समर्पण माँ कूष्माण्डा को होता है, जिन्हें सृष्टि की सर्जक माना जाता है। माँ कूष्माण्डा को उनके आठ भुजाओं में विभिन्न दिव्य वस्तुएं धारण किए हुए दिखाया जाता है और उनका वाहन शेर है। इस दिन की पूजा का प्रमुख उद्देश्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
ईद उल-अधा, इस्लाम का महत्वपूर्ण त्योहार, 17 जून 2024 से 19 जून 2024 तक मनाया जाएगा। यह पैगंबर इब्राहिम की अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह के आदेश पर कुर्बान करने की तत्परता को याद करता है। त्योहार में कुर्बानी, अल्लाह पर विश्वास, और मुसलमानों की एकता का महत्व है। मुसलमान मज्जिदों और ईदगाहों में नमाज अदा करेंगे, उसके बाद पशुओं की कुर्बानी करेंगे।