पंडाल की वास्तुशिल्प खासियतें

प्रयागराज‑अयोध्या मार्ग के किनारे स्थित चिलबिला हनुमान मंदिर के परिसर में वर्तमान में एक विशाल दुर्गा पूजा पंडाल की तैयारियाँ जोरों पर हैं। बिहार और झारखंड के लगभग 40 कुशल कारिगरों ने दो महीने से इस प्रोजेक्ट पर लगातार काम किया है। पंडाल का डिजाइन भारतीय पारम्परिक मंदिरों की शैली पर आधारित है, जिसमें मुख्य आकर्षण वैष्णो देवी धाम की नक्कल और रुद्र क्षेत्र के लक्स्मण झूला का सटीक पुनर्निर्माण शामिल है। चमकदार पत्थर, रंग-बिरंगे शेड्स और जटिल नक्काशी के साथ निर्मित ये संरचनाएँ दर्शकों को एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाती हैं।

पंडाल के द्वार पर लिखे गए शिलालेख और हाथ में पकड़ी हुई लालटेन, भक्तों को रात्रिकालीन अनुशासन और उत्सव का माहौल महसूस कराते हैं। इस निर्माण में स्थानीय कारिगरों ने आधुनिक तकनीक और पारम्परिक शिल्पकला को मिलाकर एक अनोखा मिश्रण तैयार किया है, जिससे पंडाल न केवल सौंदर्यपूर्ण बल्कि टिकाऊ भी बना है।

सैन्य श्रद्धांजलि और जनता की उमड़ती भीड़

पंडाल के एक कोने में विशेष रूप से भारतीय सेना के सम्मान में एक थ्येटर स्थापित किया जा रहा है। इसमें ऑपरेशन सिंधूर को दर्शाने वाली मूर्तिकला, तथा राफेल फाइटर जेट, सुकॉइ विमान और एस‑400 एंटी‑एयरक्राफ्ट डिफेंस सिस्टम की जीवंत प्रतिकृतियां प्रदर्शित होंगी। यह प्रदर्शन सुरक्षा क्षेत्र के प्रमुख क्षणों को श्रद्धांजलि स्वरूप पेश करता है, जिससे जनता को सेना की उपलब्धियों से परिचित कराता है।

स्थानीय प्रशासन ने इस अनूठे मिश्रण को संभावित भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा की दृष्टि से विशेष प्रबंध किए हैं। पंडाल की खुली जगह में कई सूचना बोर्ड लगाए गए हैं, जहाँ आगंतुकों को मार्गदर्शन और सुरक्षा नियमों की जानकारी दी जाएगी। तत्पश्चात, पंडाल के आसपास हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आने की संभावना है, जो अवकाश में दार्शनिक अनुभव के साथ राष्ट्रीय गर्व भी महसूस करेंगे।

  • वास्तुशिल्पीय नक्कली: वैष्णो देवी धाम, लक्स्मण झूला
  • सैन्य उपकरण प्रतिकृति: राफेल, सुकॉइ, एस‑400
  • कार्य दल: 40 कुशल कारिगर (बिहार, झारखंड)
  • निर्माण अवधि: 2 महीने
  • स्थान: चिलबिला हनुमान मंदिर, प्रयागराज‑अयोध्या हाइवे