बोलचिस्तान मुद्दे पर फिर से उबाल, पाकिस्तान से अलगाव का बड़ा ऐलान
पाकिस्तान से वर्षों से उपेक्षा, हिंसा और मानवाधिकारों के बड़े उल्लंघन से जूझ रहे बोलच लोगों ने अब अलग देश की घोषणा कर दी है। मई 2025 में कुछ प्रमुख बोलच राष्ट्रवादी नेताओं ने बाकायदा एक प्रतीकात्मक 'स्वतंत्रता घोषणा' जारी की और कहा कि अब वे पाकिस्तान के शासन को मान्यता नहीं देते। इनकी मांग है कि इस क्षेत्र को 'डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ बोलचिस्तान' के नाम से वैश्विक पहचान मिले।
घोषणा के बाद कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसमें 'बोलचिस्तान पाकिस्तान नहीं है' जैसे नारे गूंजे। बोलचिस्तान में हालात बहुत बुरे बताए जाते हैं—लोग अक्सर गायब कर दिए जाते हैं, कई दशकों से सेना की ज्यादती के मामले सामने आते रहे हैं, और आम जनता पूरी सुरक्षा से दूर है। अनेक रिपोर्टों में बताया गया है कि बोलच एक्टिविस्ट्स और आम नागरिक बिना वजह गिरफ्तार हो जाते हैं या उनकी हत्या कर दी जाती है।
मानवाधिकार हनन, सोशल मीडिया ताकत और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
मशहूर बोलच कार्यकर्ता मीर यार बोलच ने बताया कि पाकिस्तान-शासित बोलचिस्तान में विरोध की यह लहर सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि जनता की आकांक्षा है। वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हुए बोलचिस्तान के प्रस्तावित झंडे और नक्शे ने इस आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी है। एकदम नए झंडे और नाम के साथ, यह मांग अब सीमाओं को पार कर रही है। आंदोलनकारियों ने भारत, संयुक्त राष्ट्र और दुनियाभर की सरकारों से अपील की है कि वे बोलचिस्तान को स्वतंत्र देश की मान्यता दें।
अफगान सांसद मरियम सोलैमानखिल जो अब निर्वासन में हैं, उन्होंने पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई को 'जबरन औपनिवेशिक कब्जा' करार दिया है। मरियम ने सवाल उठाया कि कैसे सरकार बोलच जैसे शांतिपूर्ण आंदोलनों को बेरहमी से दबा देती है, जबकि लश्कर-ए-तैयबा जैसे कट्टरपंथियों के प्रति सरकारी रवैया अपेक्षाकृत नरम रहता है। इन आरोपों ने पाकिस्तान की नीति की दोहरी मानसिकता को दुनिया के सामने उजागर किया।
इस विवाद के बीच एक और नई बात सामने आई: बोलचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पहली बार किसी हिंदू महिला को नेतृत्व की जिम्मेदारी सोपी है। इससे क्षेत्रीय राजनीति के समीकरण और भी उलझ गए हैं, ख़ासकर भारत और पाकिस्तान के बीच। बोलच आंदोलन के समर्थक अब अंतरराष्ट्रीय नियमों का हवाला दे कर पाकिस्तान के भू-भाग पर उसे अधिकारहीन बता रहे हैं और इसे एक ऐतिहासिक लड़ाई बता रहे हैं, जो इंसाफ और अस्मिता दोनों की मांग कर रही है।
बोलच राष्ट्रवादी लंबे समय से यूरोप, अमेरिका और भारत जैसे देशों में रहकर भी अपने हक में माहौल बनाते रहे हैं। लेकिन इस साल की स्वतंत्रता घोषणा और खुला विद्रोह, बोलचिस्तानी अस्मिता के सवाल को नई ऊचाइयों पर ले गया है। संयुक्त राष्ट्र की तर्ज पर मान्यता पाने की यह मुहिम सोशल मीडिया के ज़रिये वैश्विक स्तर पर एक लहर बन चुकी है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार के लिए ये संकट लगातार गहराता जा रहा है।
akarsh chauhan
मई 16, 2025 AT 20:49soumendu roy
मई 18, 2025 AT 01:22Kiran Ali
मई 18, 2025 AT 14:29Kanisha Washington
मई 19, 2025 AT 03:12Rajat jain
मई 19, 2025 AT 17:37Gaurav Garg
मई 20, 2025 AT 15:57Ruhi Rastogi
मई 21, 2025 AT 02:50Suman Arif
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मई 23, 2025 AT 01:01Abhishek Ambat
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मई 26, 2025 AT 04:32Sri Vrushank
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मई 28, 2025 AT 08:25