अगर आप वैष्णो देवी की यात्रा करना चाहते हैं लेकिन दूर का सफर आपके लिए मुश्किल लग रहा है, तो वैष्णो देवी प्रतिकृति आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। यह प्रतिकृति कई जगहों पर बनाई गई है, लेकिन सबसे लोकप्रिय उत्तराखंड के कुछ छोटे शहरों में देखी जाती है। यहाँ हम आपको बताएंगे कि यह क्या है, कहाँ है और कैसे आसानी से पहुँच सकते हैं।
वैष्णो देवी प्रतिकृति मूल मंदिर की मूर्तियों, शृंगार और धूपदानों को सटीक रूप से दोहराती है। यह जगह अक्सर स्थानीय देवताओं की पूजा के साथ जुड़ी होती है, इसलिए यहाँ की शांति और आध्यात्मिक माहौल बिल्कुल असली वैष्णो देवी जैसा लगता है। कई बार यहाँ यात्रियों को छोटे‑छोटे धूपदान, गंगाजल और फूल अर्पित करने का मौका मिलता है।
प्रतिरूप बनाना सिर्फ सजावट नहीं है, बल्कि धार्मिक भावना को दूर‑दराज के लोगों तक पहुँचाने का प्रयास है। आप यहाँ छोटा‑छोटा दान कर सकते हैं या मनोकामना लिख सकते हैं – सभी काम एक ही माहौल में होते हैं।
सबसे प्रमुख स्थानों में उत्तराखंड के करनौली, बत्रा और रौतिला शहर शामिल हैं। इन जगहों तक बस, टैक्सी या तेज़ रफ्तार वाले गाड़ी से आसानी से पहुँचा जा सकता है। यदि आप दिल्ली या आगरा से यात्रा कर रहे हैं, तो आप पहले कार या बस से हरिद्वार जाएँ, फिर स्थानीय बस या टेम्पररी टैक्सी द्वारा प्रतिकृति वाले गाँव तक पहुँचें। कुल मिलाकर यात्रा 6‑8 घंटे की होती है।
स्थानीय बाजार में आप एक छोटा मैप या मोबाइल एप्लिकेशन से नजदीकी प्रतिकृति का पता लगा सकते हैं। अधिकांश जगहें सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक खुली रहती हैं, इसलिए भीड़ वाले समय से बचने के लिए आप सुबह जल्दी या देर शाम का समय चुन सकते हैं।
बारिश के मौसम में रास्ते फिसलन वाले हो सकते हैं, इसलिए आरामदायक जूते, जल की बोतल और हल्का स्नैक्स साथ रखना अच्छा रहेगा। यदि आप खास पूजा देखना चाहते हैं, तो स्थानीय प्रबंधकों से समय‑समय पर होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी ले लें।
वैष्णो देवी प्रतिकृति पर आप केवल दर्शन ही नहीं, बल्कि छोटे‑छोटे धार्मिक कार्य‑क्रिया भी कर सकते हैं जैसे दीप डालना, प्रसाद वितरित करना और मंदिर पुस्तकालय में शास्त्र पढ़ना। यह अनुभव आपके आध्यात्मिक मन को संतुष्ट करता है और घर से दूर रहने वाले लोगों को भी राहत देता है।
तो अगर आप एक सच्ची नियति अनुभव चाहते हैं, लेकिन जिम्बा यात्रा नहीं कर सकते, तो वैष्णो देवी प्रतिकृति को अपनी अगली यात्रा सूची में जोड़ें। यहाँ की शांति, सादगी और बंधन आपको अगले वर्ष तक याद रहेंगे।
प्रयागराज‑अयोध्या हाईवे पर स्थित चिलबिला हनुमान मंदिर में 40 मजदूरों की दो‑महीने की मेहनत से एक विशाल पंडाल बन रहा है। इस पंडाल में वैष्णो देवी धाम व लक्स्मण झूला की नक्कलें और भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंधूर की थ्योरी को दर्शाने वाला सैन्य प्रदर्शन दिखेगा। राफेल, सुकॉइ और एस‑400 जैसी उन्नत हथियारों की प्रतिकृतियां भी देखी जा सकेंगी। धार्मिक और राष्ट्रीय भावना के इस अनूठे मिश्रण से हजारों श्रद्धालु आकर्षित होने की उम्मीद है।