आप अक्सर सुनते हैं कि शादी या नए काम की शुरुआत से पहले शुभ मुहूर्त देखना चाहिए. यह शब्द ज्योतिष में इस्तेमाल होता है, जिसका मतलब है "सही समय". जब हम किसी महत्वपूर्ण कार्य को सही ग्रह-स्थिति के साथ शुरू करते हैं तो सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
सबसे आसान तरीका है ऑनलाइन पंचांग या ज्योतिष ऐप का इस्तेमाल. इन साइटों पर आपका जन्म तिथि, समय और जगह डालने से व्यक्तिगत शुभ समय मिल जाता है. अगर आप सरल चाहते हैं तो पाँच मुख्य बिंदुओं को देखिए:
इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर आप अपने काम के लिए सबसे अनुकूल समय चुन सकते हैं बिना जटिल गणनाओं के.
व्यक्ति अक्सर शादी, घर खरीदना, नए व्यापार की शुरुआत या परीक्षा की तैयारी जैसे बड़े फैसले में शुभ मुहुर्ट को देखता है. लेकिन रोज़मर्रा के कामों में भी इसका असर हो सकता है. उदाहरण: अगर आप नई नौकरी की शुरूआत कर रहे हैं तो सुबह 9 बजे से पहले का समय अक्सर बेहतर माना जाता है क्योंकि ऊर्जा स्तर ऊँचा रहता है.
एक और आसान तरीका है "राहु काल" या "शनि काल" जैसे बुरे समय को बचना. ये समय हर दिन अलग-अलग होते हैं, इसलिए पंचांग में इन्हें चिह्नित कर लेना फायदेमंद है.
टैग शुभ मुहूर्त के अंतर्गत हमारे पास कई लेख मौजूद हैं – जैसे कि कैसे गणेश उत्सव का मुहुर्ट निकाला जाए, या आयुर्वेद में समय-समय पर कौनसे रासायनिक उपाय उपयोगी होते हैं. आप इन पोस्टों को पढ़कर अपने दैनिक शेड्यूल में सरल बदलाव कर सकते हैं.
सारांश यह है कि शुभ मुहुर्ट देखना कोई जटिल विज्ञान नहीं, बल्कि एक साधारण नियम है जो हमें समय की सही पहचान करने में मदद करता है. चाहे आप बड़े जीवन निर्णय ले रहे हों या छोटी-छोटी योजनाएँ बना रहे हों, इस सरल गाइड को फॉलो करें और देखें कैसे आपके काम आसान हो जाते हैं.
अगर आपको अभी भी संदेह है तो
पढ़ें – उनमें विस्तृत उदाहरण और कैलेंडर टूल के लिंक मिलेंगे. याद रखें, सही समय चुनना सिर्फ भाग्य नहीं, बल्कि आपके प्रयासों को अधिकतम करने का एक तरीका है.नवरात्रि के चौथे दिन का समर्पण माँ कूष्माण्डा को होता है, जिन्हें सृष्टि की सर्जक माना जाता है। माँ कूष्माण्डा को उनके आठ भुजाओं में विभिन्न दिव्य वस्तुएं धारण किए हुए दिखाया जाता है और उनका वाहन शेर है। इस दिन की पूजा का प्रमुख उद्देश्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।