स्टॉक स्प्लिट: आसान भाषा में समझें

क्या आपने कभी ‘स्टॉक स्प्लिट’ शब्द सुना है और नहीं जानते कि इसका मतलब क्या होता है? चलिए इसे ऐसे समझते हैं जैसे आप किसी चीज़ को छोटे‑छोटे टुकड़ों में बाँट रहे हों, ताकि ज्यादा लोग उसे खरीद सकें। जब कोई कंपनी अपने शेयरों को विभाजित करती है, तो आपके पास मौजूद शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन कुल मूल्य वही रहता है।

स्टॉक स्प्लिट कैसे काम करता है?

कंपनी तय करती है कि एक शेयर को कितने हिस्सों में बाँटना है – जैसे 2‑for‑1, 3‑for‑1 या 5‑for‑1। अगर आपके पास 10 शेयर हैं और कंपनी 2‑for‑1 स्प्लिट करती है, तो आपके पास अब 20 शेयर हो जाएंगे। हर शेयर का मूल्य आधा हो जाता है, इसलिए कुल मूल्य (10 × ₹100 = ₹1,000) वही रहता है (20 × ₹50 = ₹1,000)।

स्प्लिट के बाद आपका पोर्टफोलियो वही रहता है, सिर्फ शेयरों की संख्या बदलती है। शेयर की कीमत गिरती नहीं, बल्कि छोटे‑छोटे हिस्सों में बँट जाती है, जिससे छोटे निवेशकों के लिये खरीदना आसान हो जाता है।

स्टॉक स्प्लिट के पीछे के कारण और फायदें

कंपनियों के कई कारण होते हैं स्प्लिट करने के:

  • लिक्विडिटी बढ़ाना: शेयर अधिक सस्ते हो जाने से ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है और बाजार में आसानी से खरीदा‑बेचा जा सकता है।
  • नयी निवेशकों को आकर्षित करना: बहुत महंगे शेयर छोटे निवेशकों को डराते हैं। स्प्लिट से कीमत घटकर कई लोगों को आकर्षित करती है।
  • सकारात्मक सिग्नल देना: अक्सर कंपनियां अच्छा प्रदर्शन दिखाने के बाद स्प्लिट करती हैं, जिससे बाजार में विश्वास बढ़ता है।

आपको फाइदे भी मिलते हैं:

  • कम कीमत के कारण शेयर खरीदना आसान हो जाता है।
  • पोर्टफोलियो की वैविध्य बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • बाजार में शेयर की मांग बढ़ती है, जिससे कीमत में संभावित उछाल हो सकता है।

ध्यान रखें, स्प्लिट खुद में किसी भी चीज़ का नया मूलभूत नहीं बदलता। कंपनी की वित्तीय स्थिति, प्रॉफ़िट और ग्रोथ फॉर्मूले वही रहते हैं। इसलिए सिर्फ स्प्लिट देखकर शेयर खरीदना सुरक्षित नहीं। हमेशा कंपनी के फंडामेंटल्स को देखना चाहिए।

एक उदाहरण लेते हैं – अगर किसी कंपनी का शेयर ₹2,000 पर ट्रेड कर रहा है और वह 4‑for‑1 स्प्लिट करती है, तो नई कीमत लगभग ₹500 हो जाएगी। यदि आप पहले से ही 5 शेयर रखते थे, तो अब आपके पास 20 शेयर होंगे। कुल निवेश ₹10,000 ही रहेगा, पर आपके पास ज्यादा शेयर हो जाएंगे, जिससे संभावित रिटर्न पर असर पड़ सकता है।

अंत में, स्टॉक स्प्लिट एक साधारण मैकेनिज्म है जो शेयर की कीमत को छोटा बनाता है लेकिन कुल वैल्यू नहीं बदलता। अगर आप छोटे निवेशक हैं या अधिक लिक्विडिटी चाहते हैं, तो स्प्लिट वाले स्टॉक्स पर नजर रखना फायदेमंद हो सकता है। पर हमेशा कंपनी के मूल आंकड़ों को देखना न भूलें।

क्या अब आप स्टॉक स्प्लिट को समझते हैं? अगली बार जब आप किसी कंपनी के अधिसूचना में ‘स्टॉक स्प्लिट’ देखेंगे, तो आप जानते हैं कि इसका क्या मतलब है और इसका आपके निवेश पर क्या असर पड़ेगा।

अडानी पावर स्टॉक स्प्लिट 1:5: रिकॉर्ड डेट 22 सितंबर 2025, बढ़ती क्षमता पर ब्रोकरेज का दांव

खोजे गए नतीजों में अडानी पावर को बड़े ऑर्डर मिलने वाली रिपोर्ट नहीं मिली। कंपनी ने 1:5 स्टॉक स्प्लिट का ऐलान किया है, रिकॉर्ड डेट 22 सितंबर 2025 रखी गई है। ब्रोकरेज मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक FY32 तक बाजार हिस्सेदारी 8% से 15% हो सकती है और क्षमता करीब 41.9 GW तक बढ़ सकती है। FY33 तक EBITDA के तीन गुना होने का अनुमान है। शेयर YTD करीब 35% चढ़ा और 52-हफ्ते का ऊपरी स्तर छुआ।

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