रिपोर्ट: जतिन
बड़े ऑर्डर की चर्चा खूब हुई, पर खोजे गए नतीजों में उस कथित डील का कोई ठोस दस्तावेज नहीं मिला। जो तय है, वह यह कि अडानी पावर ने 1:5 अनुपात में अपने इतिहास का पहला स्टॉक स्प्लिट घोषित किया है। यानी 1 शेयर अब 5 शेयरों में विभाजित होगा और फेस वैल्यू 10 रुपये से घटकर 2 रुपये हो जाएगी। कंपनी ने 22 सितंबर 2025 को रिकॉर्ड डेट रखा है। साल की शुरुआत से अब तक शेयर 35% से ज्यादा चढ़ चुका है और हाल में 52-हफ्ते का नया उच्च स्तर भी बना।
स्टॉक स्प्लिट: क्या बदलता है, निवेशकों पर सीधा असर क्या
स्टॉक स्प्लिट में कंपनी शेयरों को छोटे हिस्सों में बांटती है ताकि लॉट साइज छोटा हो, लिक्विडिटी बढ़े और ज्यादा खुदरा निवेशक आसानी से भाग ले सकें। इस प्रक्रिया में कंपनी का कुल मार्केट कैप और शेयरधारक की कुल होल्डिंग का मूल्य नहीं बदलता, बस प्रति शेयर कीमत गणित के हिसाब से समायोजित हो जाती है। 1:5 स्प्लिट के बाद जिनके पास 100 शेयर हैं, वे 500 शेयर देखेंगे, लेकिन कुल वैल्यू लगभग वही रहेगी (बाजार उतार-चढ़ाव अलग)।
रिकॉर्ड डेट वह तारीख होती है जिस दिन तक डिमैट खाते में शेयर मौजूद रहने चाहिए, तभी स्प्लिट का लाभ मिलता है। आमतौर पर एक्स-डेट रिकॉर्ड डेट से एक कारोबारी दिन पहले पड़ती है और उसी दिन से समायोजित कीमत पर ट्रेडिंग शुरू होती है। एक्सचेंज F&O कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज को भी समायोजित करते हैं ताकि मूल्य-आकार का असर निष्पक्ष रहे। यह बोनस शेयर नहीं है, जहां रिजर्व्स से नए शेयर जारी होते हैं; स्प्लिट में केवल फेस वैल्यू और शेयरों की संख्या बदलती है।
कंपनी ने स्प्लिट के पीछे लिक्विडिटी बढ़ाने और खुदरा भागीदारी को प्रोत्साहित करने की बात कही है। तेज़ी के दौर में छोटे लॉट साइज से डे-टू-डे ट्रेडिंग सौदों की संख्या बढ़ती है, बिड-आस्क स्प्रेड घटता है और प्राइस डिस्कवरी बेहतर दिख सकती है। लंबे समय के निवेशकों के लिए भी छोटे टिक-साइज़ और ऑर्डर प्लेसमेंट में लचीलापन मिलना एक व्यावहारिक फायदा है।

बिजनेस आउटलुक: क्षमता, आय के अनुमान और आगे की चुनौतियां
अडानी पावर देश की सबसे बड़ी निजी कोयला-आधारित स्वतंत्र बिजली उत्पादक कंपनी है। कंपनी का पोर्टफोलियो 8 राज्यों में फैले 12 प्लांट्स के जरिए 18,150 मेगावॉट तक पहुंच चुका है। मांग के मोर्चे पर, उद्योग और शहरीकरण की रफ्तार से बेस-लोड बिजली की जरूरत बढ़ी है, जहां थर्मल अभी भी ग्रिड की रीढ़ बना हुआ है।
ग्लोबल ब्रोकरेज मॉर्गन स्टैनली का अनुमान है कि FY32 तक कंपनी की कोयला-आधारित क्षमता और थर्मल जनरेशन में बाजार हिस्सेदारी 8% से बढ़कर 15% हो सकती है। इसी अवधि में कुल स्थापित क्षमता लगभग 41.9 गीगावॉट तक जाती दिख रही है। ब्रोकरेज ने यह भी आंका है कि FY33 तक कंपनी का EBITDA तीन गुना तक हो सकता है। यह अनुमान बढ़ती क्षमता, ऑपरेशनल स्केल, और संभावित एफिशिएंसी गेंस पर टिका है।
शेयर बाज़ार में कंपनी का मूवमेंट इस साल मजबूती भरा रहा है। YTD 35% से अधिक रिटर्न के साथ स्टॉक ने 52-हफ्ते की चोटी छुई। स्प्लिट के बाद छोटे प्राइस-डेनोंमिनेशन से ट्रेडिंग वॉल्यूम और भागीदारी में इजाफा संभव है, हालांकि कीमत का भविष्य हमेशा फंडामेंटल्स और बाज़ार स्थितियों से तय होता है।
आगे किन चीज़ों पर नज़र रखनी चाहिए? नई क्षमता के लिए कैपेक्स, फाइनेंसिंग स्ट्रक्चर और कर्ज़ का स्तर; ग्रिड के लिए आवश्यक रेगुलेटरी क्लीयरेंस; पावर परचेज एग्रीमेंट्स की कवरेज; और ईंधन सप्लाई के दीर्घकालिक इंतज़ाम। कोयला कीमतों की चाल और लॉजिस्टिक्स भी मार्जिन पर असर डालते हैं। पर्यावरण मानकों का अनुपालन, एमिशन-कट टेक्नोलॉजी में निवेश और ऊर्जा ट्रांजिशन की नीति दिशा थर्मल प्लेयर्स के लिए निर्णायक बने रहेंगे।
रिन्यूएबल्स की तेज़ बढ़त एक बड़ा ढांचा बदलाव है। भारत के ग्रिड को बड़े पैमाने पर सौर और पवन से सपोर्ट मिल रहा है, लेकिन पीक-टाइम और बेस-लोड मांग को पूरा करने में थर्मल की भूमिका कम होने में समय लगेगा। ऐसे में हाई एफिशिएंसी यूनिट्स, बेहतर प्लांट लोड फैक्टर और प्रतिस्पर्धी लागत कंपनी के नतीजों में फर्क ला सकते हैं।
निवेशकों के लिए व्यावहारिक चेकलिस्ट में ये बिंदु अहम रहेंगे:
- रिकॉर्ड डेट 22 सितंबर 2025: एक्स-डेट और समायोजित ट्रेडिंग की आधिकारिक घोषणा पर नज़र रखें।
- स्प्लिट के बाद डिमैट में शेयर संख्या का क्रेडिट और ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म पर औसत खरीद कीमत का समायोजन।
- आने वाले तिमाही नतीजे: रियलाइज्ड टैरिफ, ईंधन लागत और PLF ट्रेंड्स का असर।
- कैपेक्स पाइपलाइन, प्रोजेक्ट टाइमलाइन और फंडिंग का स्पष्ट रोडमैप।
- पॉलिसी अपडेट: एमिशन नॉर्म्स, डिस्कॉम्स की देनदारियां और भुगतान चक्र में सुधार।
कुल तस्वीर यह बताती है कि कंपनी एक बड़े कॉर्पोरेट एक्शन के जरिए शेयर बाज़ार में भागीदारी बढ़ाना चाहती है, जबकि ब्रोकरेज हाउस इसके स्केल-अप की कहानी पर दांव लगा रहे हैं। बड़े ऑर्डर की बात भले पुख्ता न मिली हो, लेकिन घोषित स्प्लिट, बढ़ती क्षमता के अनुमान और साल भर की रैली ने निवेशक रुचि को ज़िंदा रखा है।