फेडरल रिज़वर्‍ड की मौद्रिक नीति और भारत पर असर – ताज़ा ख़बरें

आपने शायद कई बार समाचार में फेडरल रिज़र्व (Fed) का नाम सुना होगा, लेकिन इसका काम क्या है और ये हमारे देश को कैसे प्रभावित करता है, अक्सर स्पष्ट नहीं होता। आइए सरल शब्दों में समझते हैं कि Fed कब, क्यों और कैसे निर्णय लेता है और इन फैसलों से भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है।

फेडरल रिज़वर्‍ड क्या करता है?

Fed अमेरिका का केंद्रीय बैंक है। इसका मुख्य काम देश में पैसे की मात्रा को नियंत्रित करना, ब्याज दरें तय करना और मौद्रिक स्थिरता बनाये रखना है। जब महँगाई बढ़ती है तो Fed अक्सर ब्याज दरें बढ़ाता है ताकि खर्च कम हो और कीमतों पर दबाव घटे। उलट, अगर आर्थिक विकास धीमा हो तो वह दरें घटा सकता है जिससे उधार लेना आसान हो जाता है।

Fed के प्रमुख निर्णय दो मुख्य मीटिंग्स में होते हैं – फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (FOMC) और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक। इन बैठकों में नीति दर, क्वांटिटेटिव ईज़िंग, और बैंकों को मिलने वाले रिज़र्व आवश्यकताओं पर चर्चा होती है।

भारत में इसका प्रभाव

Fed के कदम हमारे देश में कई तरीकों से असर डालते हैं। सबसे पहले डॉलर की कीमत सीधे प्रभावित होती है। जब Fed दरें बढ़ाता है, तो निवेशक अपने पैसों को अमेरिकी डॉलर्स में बदल लेते हैं, जिससे रुपये कमजोर हो जाता है। एक कमजोर रुपया आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ा सकता है और महँगाई में इजाफ़ा कर सकता है।

दूसरा असर RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) की नीति पर पड़ता है। अगर डॉलर मजबूत हो रहा है, तो RBI को अपने मौद्रिक नीतियों को समायोजित करना पड़ता है ताकि विदेशी पूंजी बहिर्वाह न बढ़े और वित्तीय स्थिरता बनी रहे। इससे कभी-कभी बैंकों में लोन की दरें भी बदल सकती हैं, जो आम जनता के खर्च पर असर डालती हैं।

तीसरा प्रभाव स्टॉक्स और फिक्स्ड इनकम मार्केट में दिखता है। Fed द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से वैश्विक इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव आता है। भारतीय शेयर बाजार भी इस दिशा में झुकाव देखता है, विशेषकर उन कंपनियों पर जो आयातित कच्चे माल या विदेशी फाइनेंसिंग पर निर्भर हैं।

अब बात करें कुछ हाल के अपडेट की – पिछले महीने Fed ने बेसिक फ़ेडरल फ़ंड्स रेट को 0.25% बढ़ाया था क्योंकि महँगाई अभी भी लक्ष्यों से ऊपर थी। इस बदलाव ने रुपये को थोड़ा दबाव में डाल दिया, लेकिन RBI ने तुरंत मौद्रिक नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया। इससे बाजार में स्थिरता बनी रही और कई निवेशकों ने फिक्स्ड डिपॉज़िट्स की ओर रुख किया।

यदि आप अपने वित्तीय योजनाओं को बेहतर बनाना चाहते हैं तो Fed के आँकड़े पर नजर रखें। डॉलर की गति, RBI की प्रतिक्रिया और आपके खर्च के प्रकार (जैसे आयातित वस्तु या घरेलू उत्पादन) सब मिलकर यह तय करते हैं कि आपका पैसा कैसे बढ़ेगा या घटेगा।

सारांश में कहा जाए तो फेडरल रिज़र्व एक ऐसी संस्था है जिसका हर कदम अंतरराष्ट्रीय वित्तीय माहौल को बदल देता है और इसका असर भारतीय बाजार, रुपये की वैल्यू और महँगाई पर सीधा पड़ता है। इसलिए ताज़ा खबरों को फ़ॉलो करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।

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