ग्राहम थोर्प – इंग्लैंड के महान बल्लेबाज और फील्डिंग जीनियस

क्या आपने कभी ग़ौर किया है कि कुछ खिलाड़ी सिर्फ रन बनाकर ही नहीं, बल्कि मैदान पर उनके हर कदम को याद रखा जाता है? ऐसा ही एक नाम है ग्रेस थोर्प का, जिसे हम अक्सर ‘ग्राहम थोर्प’ के रूप में जानते हैं। 1969 में इंग्लैंड में जन्मे वह 1990‑2005 तक टेस्ट क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ गए और फील्डिंग को नए मानक पर ले गये।

थोर्प ने अपने करियर की शुरुआत 1993 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ की थी, जब उन्होंने सिर्फ 57 रन बनाए लेकिन उसके बाद उनका असली जादू शुरू हुआ। वह एक बाएँ‑हाथी ओपनर थे और अक्सर कठिन पिचों पर भी स्थिर रहकर टीम को भरोसा दिलाते रहे। उनकी सबसे बड़ी ताकत थी उनके हाथ में गेंद को संभालने की कला, जिससे वह कई बार रनों को बचा लेते थे।

करियर की प्रमुख उपलब्धियां

थोर्प के करियर में कुल 100 टेस्ट मैच और 7,000 से अधिक रन हैं, जिनमें दो शतकों (200) और नौ अर्धशतक शामिल हैं। उनका सबसे यादगार शतक 1995 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ था, जब उन्होंने 144 रन बनाए थे और टीम को जीत दिलाई थी। इसके अलावा, वह 1999 का ‘प्लेऑफ़ ऑफ द इयर’ भी बने, क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड को एशिया कप क्वालीफायर्स में आगे बढ़ाया।

फील्डिंग की बात करें तो थोर्प को अक्सर ‘दुर्लभ फील्डर’ कहा जाता था। उनके तेज़ हाथ और तीव्र प्रतिक्रिया ने कई बार प्रतिद्वंदियों के महत्वपूर्ण रनों को रोका। 1999 वर्ल्ड कप में उन्होंने केवल दो ओवर में पाँच विकेट पकड़े, जो आज भी एक रिकॉर्ड माना जाता है। उनकी इस कला का असर बाद की पीढ़ी पर भी पड़ा – अब हर टीम अपने फील्डिंग को थोर्प जैसे मानती है।

सेवानिवृत्ति बाद का जीवन

2005 में वह अचानक क्रिकेट से बाहर हो गए, लेकिन उनके पास अभी भी बहुत कुछ था। उन्होंने टीवी पर करियर शुरू किया और कई बड़े मैचों के कमेंटेटर बन गये। उनकी आवाज़ में वही विश्लेषणात्मक अंदाज़ है जो मैदान में दिखता था – साफ‑सुथरा और बिंदु तक पहुँचने वाला।

आज थोर्प विभिन्न क्रिकेट अकादमी में युवा खिलाड़ियों को सिखाते हैं, खासकर फील्डिंग की तकनीक पर ध्यान देते हुए। उनका मानना है कि आज के युग में हर खिलाड़ी को कम से कम एक असाधारण क्षेत्र में महारत हासिल करनी चाहिए – चाहे वह बॉलिंग हो या फील्डिंग।

यदि आप क्रिकेट का शौक रखते हैं तो थोर्प की कहानी आपको प्रेरित करेगी। उन्होंने दिखाया कि मेहनत, धैर्य और लगातार सुधार से आप किसी भी खेल में पहचान बना सकते हैं। अगली बार जब आप कोई मैच देखेंगे, तो उनके फील्डिंग के छोटे‑छोटे संकेतों को याद रखें – यही वह जादू है जो उन्हें लीजेंड बनाता है।

ग्राहम थोर्प: इंग्लैंड के क्रिकेटर और कोच का निधन

ग्राहम थोर्प, पूर्व इंग्लिश क्रिकेट खिलाड़ी और कोच, का 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मजबूत बल्लेबाजी और संकट के क्षणों में शांत रहने की क्षमता ने उन्हें एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाया। उनका करियर 100 टेस्ट मैचों में फैला, जिसमें उनका अंतिम मैच 2005 में बांग्लादेश के खिलाफ था। उनकी कोचिंग कुछ सबसे बड़े खिलाड़ियों को सलाह देने में मददगार साबित हुई।

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