भूस्खलन क्या है और क्यों होता है?

जब जमीन की सतह अचानक ढह कर नीचे गिरती या बहती है तो उसे भूस्खलन कहते हैं। यह प्राकृतिक आपदा अक्सर भारी बारिश, तेज़ हवाओं या धरती के भीतर की संरचना में बदलाव से आती है। भारत जैसे विविधभौगोलिक देश में पहाड़ी इलाकों और नदियों के किनारे ये घटना ज्यादा देखी जाती है।

भूस्खलन के प्रमुख कारण

1. **अधिक वर्षा** – मानसून या तूफ़ान के दौरान तेज़ पानी मिट्टी को ढीला कर देता है, जिससे वह आसानी से गिरता है।
2. **वनोन्मूलन** – पेड़ जड़ों की पकड़ जमीन को स्थिर रखती है। जब जंगल कटते हैं तो सतह कमजोर हो जाती है और बारिश का जल जल्दी बह जाता है।
3. **बिना नियोजन के निर्माण** – पहाड़ी ढलानों पर इमारतें, सड़कें या ख़दान बनाना मिट्टी की ताक़त घटा देता है।
4. **भूकंप और भौगोलिक तनाव** – धरती के भीतर हलचल जमीन को झुकाने या फाड़ने का काम करती है, जिससे अचानक ढहाव हो सकता है.
5. **अत्यधिक कटाव** – नदियों के किनारे मिट्टी लगातार बहती रहती है, जो समय‑समय पर बड़े भूस्खलन की वजह बनती है.

भूस्खलन से बचने के आसान उपाय

पहले तो अपने रहने वाले क्षेत्र में खतरे का स्तर समझें। यदि आप पहाड़ी या नदियों के पास रहते हैं, तो स्थानीय प्रशासन की चेतावनी प्रणाली पर ध्यान दें। भारी बारिश के दौरान खुले क्षेत्रों में देर तक नहीं रुकें और निकटतम उच्च स्थान को पहचान कर रखें।

घर बनाते समय ढलान का सही ढंग से मूल्यांकन करें और पेशेवर इंजीनियर की सलाह ले। पेड़ों को कटवाने के बजाय उनकी संख्या बढ़ाएँ; जड़ें मिट्टी को बंधी रखती हैं। अगर आपके आस‑पास किसी पहाड़ी पर नयी सड़क या भवन निर्माण चल रहा है, तो उसके नियोजन दस्तावेज़ देखें और यदि आवश्यक लगे तो शिकायत दर्ज करें.

आपातकालीन किट तैयार रखें – टॉर्च, बैटरियों, प्राथमिक उपचार की चीजें, पानी और खाने के पैकेट। बारिश शुरू होने से पहले परिवार में एक मिलन बिंदु तय कर लें, जैसे गाँव का स्कूल या मंदिर, जहाँ सभी सुरक्षित इकट्ठे हो सकें.

सरकारी चेतावनी मिलने पर तुरंत खाली हों। अक्सर स्थानीय प्रशासन अलर्ट देता है कि कौन‑से गांव को निकालना चाहिए और कहाँ शरण लेना सुरक्षित रहेगा। इस सूचना को नज़रअंदाज़ करना बड़ी गलती बन सकती है.

भूस्खलन के बाद मदद पाने के लिए पहले खुद को सुरक्षित रखें, फिर बची हुई लोगों की तलाश शुरू करें। अगर आप फँसे हों तो बड़े पत्थर या लकड़ी से रास्ता साफ़ करने की कोशिश न करें; यह और अधिक गिरावट का कारण बन सकता है। मोबाइल नेटवर्क कमजोर हो सकते हैं, इसलिए आवश्यक जानकारी लिख कर रखें.

अंत में याद रखिए – भूस्खलन रोकने के लिए हर व्यक्ति का योगदान जरूरी है। पेड़ लगाना, अनियंत्रित निर्माण पर रोक लगाना और मौसम की निगरानी को गंभीरता से लेना—इन छोटे‑छोटे कदमों से बड़ी आपदा टली जा सकती है.

भारत ने पापुआ न्यू गिनी में भूस्खलन के बाद $1 मिलियन की सहायता की घोषणा की

भारत ने पापुआ न्यू गिनी में भूस्खलन पीड़ितों की मदद के लिए $1 मिलियन की राहत सहायता की घोषणा की है। यह सहायता पापुआ न्यू गिनी में राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण प्रयासों के लिए दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया और सभी संभव मदद प्रदान करने का संकल्प लिया है।

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