डार्जिलिंग और उसके आसपास के हिस्सों में 4‑5 अक्टूबर 2025 को धूसर बादलों की तरह गहरी बारिश आई, जिसके बाद पहाड़ी भूस्खलन ने कई गाँवों को ध्वस्त कर दिया। ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री of पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थितियों को “गंभीर” कहा और तुरंत आपातकालीन बैठक बुला ली।

भूस्खलन की पृष्ठभूमि और प्रकोप की समयसीमा

संध्या 4 अक्टूबर को डार्जिलिंग भूस्खलन 2025डार्जिलिंग शुरू हुआ, और सुबह 5 अक्टूबर तक रुक नहीं सका। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि सिर्फ 12 घंटे में उत्तर बंगाल के कई क्षेत्रों में 300 mm से अधिक वर्षा गिर गयी। इंडिया मेथियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने जलवायु आंकड़े जारी किए, जिनके अनुसार जालन्धर ज़िला में 370 mm, और डार्जिलिंग में 270 mm की बारिश दर्ज हुई।

स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार इस दो‑दिवसीय आँधी में लगभग 100 भूस्खलन हुए, जिससे सड़कों, पुलों और घरों को व्यापक नुकसान पहुँचा। कई क्षेत्रों में जल स्तर तेज़ी से बढ़ा, विशेषकर सांकॉश नदी में भूटान और सिक्किम से बहते पानी की मात्रा बढ़ी।

विस्तृत नुकसान: पुल‑पथ और गांवों पर असर

सबसे बड़ी झटके का स्रोत डीउडिया आयरन ब्रिज था, जो सिलिगुड़ी‑डार्जिलिंग SH12 हाईवे पर स्थित था। इस पुल के गिर जाने से सैकड़ों यात्रियों को फँसना पड़ा और दोनों शहरों के बीच का मुख्य संपर्क टूट गया। उसी दिन तेज़े में तिस़्ता नदी पर भी एक आयरन ब्रिज ढह गया, जिससे सिक्किम और कालिम्पोंग के बीच का रास्ता भी कट गया। मिरिक‑डुड़िया पुल की गिरावट ने सिलिगुड़ी तक पहुंच को और कठिन बना दिया।

  • NH‑10 और NH‑717 दोनों बंद हो गए, जिससे सड़कों पर ट्रैफिक पूरी तरह रुक गया।
  • डार्जिलिंग, कालिम्पोंग, जालन्धर और अलिपुर्दुआ में बड़े भाग जलमग्न हो गए।
  • मिरिक, कुर्सेओंग, माटीगरा और टेराई क्षेत्र में बाढ़ के कारण कई घरों का निचला हिस्सा डूब गया।

स्थानीय निवासी कह रहे हैं कि अचानक आई इस बाढ़ ने घरों की नींव ही हिला दी। “हमने पहले कभी इतना तेज़ बारिश नहीं देखी,” एक ग्रामीण ने कहा, आँखों में आँसू लाते हुए।

सरकारी प्रतिक्रिया और आपदा प्रबंधन

घटना के बाद, नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री ने शोक संवेदना व्यक्त की और प्रभावित परिवारों को पूर्ण सहायता का आश्वासन दिया। राज्य सरकार ने तुरंत नयी 24×7 कंट्रोल रूम स्थापित की, जहाँ से सभी राहत कार्यों की निगरानी की जा रही है।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में प्रवेश कर रही हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों का बचाव और शरण ढूँढना है, साथ ही घायल लोगों को अस्पताल ले जाना भी।” उन्होंने यह भी बताया कि आज तक 30 से अधिक बचाए गए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया जा चुका है।

गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) ने सभी पर्यटन स्थल बंद करने का आदेश जारी किया, ताकि आगे कोई दुर्घटना न हो। मुख्यमंत्री बनर्जी ने सोमवार को प्रभावित पहाड़ी जिलों की यात्रा की घोषणा की, जहाँ वे स्वयं स्थिति का जायजा लेंगी।

आर्थिक व सामाजिक प्रभाव

आर्थिक व सामाजिक प्रभाव

पहाड़ी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से चाय, पर्यटन और छोटे-मोटे व्यापार पर निर्भर है। इस भूस्खलन से चाय बागानों में जलवायु क्षति हुई, जिससे उत्पादन में 15‑20 % की गिरावट की उम्मीद है। पर्यटन के बंद होने से स्थानीय होटलों और रेस्तरां में अचानक आय में तेज़ी से गिरावट आई।

जालन्धर और अलिपुर्दुआ की कई स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ा। स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया, क्योंकि कई घायलों को आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पुनर्निर्माण कार्य तुरंत नहीं किया गया तो क्षेत्र में दीर्घकालिक माइग्रेशन की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिससे शहरी क्षेत्रों में भी दबाव बढ़ेगा।

आगे क्या अपेक्षित? मौसम पूर्वानुमान और पुनर्निर्माण योजना

IMD ने 6 अक्टूबर तक रेड अलर्ट जारी रखा है और भविष्य में भी भारी वर्षा की संभावना जताई है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि सतत बारिश के कारण अतिरिक्त भूस्खलन और बाढ़ की संभावना है, इसलिए स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहना होगा।

सरकार ने तत्काल राहत के लिए ₹200 crore (लगभग 2 बिलियन रुपये) का निधि आवंटित किया है, जिसमें इमरजेंसी शेल्टर, भोजन और स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल होंगी। लंबी अवधि की योजना में क्षतिग्रस्त पुलों को फिर से बना कर सड़कों को पुनः खोलना, तथा बाढ़‑रोधी बंकर निर्माण शामिल है।

वहीं, सैकड़ों परिवारों को अस्थायी राहत शिविरों में रखा गया है, जहाँ उन्हें किट, भोजन और बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। पुनर्वास कार्य का लक्ष्य अगले दो‑तीन महीनों में अधिकांश बुनियादी ढाँचा फिर से चालू करना है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भूस्खलन से कौन‑कौन से जिले सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए?

डार्जिलिंग, कालिम्पोंग, जालन्धर और अलिपुर्दुआ में सबसे अधिक नुकसान हुआ। इन जिलों में बाढ़, पुल टूटना और रास्ते बंद होना प्रमुख समस्याएँ रही हैं।

सरकार ने तत्काल राहत के लिए क्या कदम उठाए हैं?

मुख्यमंत्री ने 24×7 कंट्रोल रूम स्थापित किया, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को तैनात किया और ₹200 crore की आपातकालीन निधि आवंटित की। साथ ही गोरखालैंड प्रशासन ने सभी पर्यटन स्थल बंद कर दी।

भविष्य में बारिश के प्रकोप से बचाव के लिए क्या सुझाव हैं?

विशेषज्ञों ने कहा कि स्थानीय बुनियादी ढाँचा, विशेषकर पुल और जल निकासी प्रणाली को सुदृढ़ किया जाना चाहिए। साथ ही रेड अलर्ट के दौरान जल्दी से खाली करना और आपातकालीन शेल्टर की तैयारी आवश्यक है।

भूस्खलन से स्थानीय आर्थिक स्थिति कैसे प्रभावित हुई?

चाय बागानों में उत्पादन में संभावित 15‑20 % गिरावट, पर्यटन के बंद होने से होटल एवं रेस्तरां की आय में तेज़ी से कमी, और जल‑वापसी से कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक असर देखा गया है।

आगामी दिनों में मौसम क्या कहा जा रहा है?

इंडिया मेथियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि 6 अक्टूबर तक रेड अलर्ट जारी रहेगा और अगले कुछ दिनों में फिर से भारी वर्षा की संभावना है, यानी अतिरिक्त भूस्खलन और बाढ़ का जोखिम बना रहेगा।