जब ऑल इंडिया सरफ़ा एसोसिएशन ने नई दिल्ली में 10 ग्राम सोने की कीमत 1,26,600 रुपये की नई रिकॉर्ड बताई, तो निवेशकों की धड़कनें तेज़ हो गईं। यह रिकॉर्ड‑भंग 9 अक्टूबर 2025 को हुआ, जब सोना एक दिन में 2,600 रुपये बढ़कर नया शिखर छू गया। उसी समय, अंतरराष्ट्रीय बाजार ने भी $4,000/औंस की ऐतिहासिक सीमा को तोड़ दिया। यह वृद्धि तीन लगातार दिनों में कुल 6,000 रुपये की छलांग का परिणाम थी।

पिछले महीने की कीमतों में चलन

अक्टूबर के पहले हफ़्ते में सोने‑चांदी दोनों के मूल्य में तेज़ी देखी गई। 1 अक्टूबर को, एंजेलवन के डेटा के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्पॉट सोना $3,862.43 पर रहा, जबकि भारतीय बाजार में 10 ग्राम सोना 1,17,710 रुपये पर ट्रेड हो रहा था। चांदी की कीमतें भी 1,44,010 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँच गईं।

उसी दिन मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बंगलुरु और कोलकाता में 24‑कैरेट सोने की कीमतें 1,17,300‑1,17,840 रुपये के बीच थी, और 22‑कैरेट 1,07,500‑1,08,020 रुपये के बीच। चांदी का किलोग्राम मूल्य मुख्य शहरों में 1,43,500‑1,44,170 रुपये के दायरे में रहा। इस आधारभूत डेटा ने बाद के रिकॉर्ड‑ब्रेक के लिए मंच तैयार किया।

अंतरराष्ट्रीय बाजार और डॉलर‑रुपिया प्रभाव

9 अक्टूबर को $4,000/औंस की सीमा को पार करने के बाद, सोने की कीमतें वैश्विक स्तर पर 2‑3 % उछाल में पहुँच गईं। इस उछाल का बड़ा हिस्सा अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (Federal Reserve) द्वारा दर‑कट की संभावनाओं पर आधारित था। ट्रेडर उम्मीद कर रहे थे कि मौद्रिक नीति में ढील देना निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित करेगा। साथ ही, डॉलर की कमजोरी ने रुपये‑डॉलर दर को थोड़ा कमजोर किया, जिससे भारतीय आयात‑आधारित सोना महँगा हुआ।

इन अंतरराष्ट्रीय कारकों को एमसीएक्स के विश्लेषकों ने आज़माया और कहा कि सोना 1,27,000 रुपये के निशाने पर है, जबकि चांदी 1,56,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँच सकती है। हिंदुस्तान टाइम्स ने भी बताया कि वैश्विक स्तर पर जोखिम‑भय से बचाव के लिये निवेशक सोने को सुरक्षित गंतव्य मान रहे हैं।

भारत में मूल्य वृद्धि के कारण

देशी बाजार में सोने‑चांदी की कीमतों की तेज़ी के कई बुनियादी कारण हैं:

  • कस्टम ड्यूटी और अभ्यावश्यक कर में हालिया वृद्धि, जिससे अंतिम उपभोक्ता मूल्य बढ़ा।
  • भारी निवेश मांग – खासकर भारत में शादी‑सगाई और धार्मिक समारोहों में सोने की खरीदारी में एक लंबी परंपरा है।
  • औद्योगिक मांग, विशेषकर चांदी के इलेक्ट्रॉनिक और सौर पैनल उद्योग में उपयोग।
  • वैश्विक मुद्रास्फीति के डर से निवेशकों का सुरक्षित संपत्ति में पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन।

इन कारणों की पुष्टि गुडरिटर्न्स.इन ने की, जिसने बताया कि 10 अक्टूबर को 24‑कैरेट सोने की कीमत 12,415 रुपये प्रति ग्राम, 22‑कैरेट 11,380 रुपये प्रति ग्राम और 18‑कैरेट 9,311 रुपये प्रति ग्राम रही। चांदी की कीमतें 167 रुपये प्रति ग्राम और 1,67,000 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास स्थिर रही।

विश्लेषकों की भविष्यवाणी और संभावित जोखिम

विश्लेषकों की भविष्यवाणी और संभावित जोखिम

अधिकांश बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि फेडरल रिज़र्व का दर‑कट अपेक्षित रूप से लागू हो जाता है, तो सोने की कीमतें 2025 के अंत तक 1,30,000 रुपये से ऊपर जा सकती हैं। दूसरी ओर, यदि अमेरिकी आर्थिक डेटा (जैसे CPI या PPI) में अचानक सुधार दिखता है, तो डॉलर पुनः मजबूत हो सकता है, जिससे सोने पर दबाव बढ़ेगा।

चांदी के लिये जोखिम दो-तरफ़ा है: औद्योगिक मांग के कारण संभावनाएँ उज्ज्वल हैं, परंतु कीमतों में तीव्र उतार‑चढ़ाव भी देखा गया है। अगले तिमाही में बड़े धार्मिक त्यौहार जैसे दिवाली और ईद के कारण मौसमी मांग में इज़ाफा होने की उम्मीद है, जैसा कि गुडरिटर्न्स.इन ने उल्लेख किया।

भविष्य में क्या देख सकते हैं?

आगामी हफ्तों में दो प्रमुख कारक कीमतों को दिशा देंगे:

  1. अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीति बैठक – यदि दर‑कट की पुष्टि हुई तो सोने की कीमतें ऊपर जा सकती हैं।
  2. भारत में कस्टम ड्यूटी एवं GST में संभावित बदलाव – वृद्धि से कीमतें और बढ़ेंगी, घटाव से तुरंत राहत मिल सकती है।

इस बीच, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि अल्प‑कालिक उतार‑चढ़ाव को नजरअंदाज कर दीर्घकालिक पोर्टफोलियो में सोने को एक हेज के तौर पर रखे।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • 9 अक्टूबर 2025 को सोने की भारत में कीमत 1,26,600 रुपये/10 ग्राम.
  • इसी दिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना $4,000/औंस से ऊपर.
  • चांदी की कीमत 1,57,000 रुपये/किलोग्राम के निशाने पर.
  • आगामी संभावित लक्ष्य: सोना 1,27,000 रुपये, चांदी 1,56,000 रुपये.
  • मुख्य कारण: वैश्विक दर‑कट आशा, भारतीय मौसमी मांग, ड्यूटी बढ़ोतरी.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या सोने की कीमतें 2025 के अंत तक 1,30,000 रुपये तक पहुँचेंगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फेडरल रिज़र्व दर‑कट लागू करता है और भारतीय मौसमी मांग बनी रहती है, तो सोने की कीमतें 1,30,000 रुपये से ऊपर जाना संभव है, लेकिन यह डॉलर की ताक़त पर भी निर्भर करेगा।

चांदी की कीमतें क्यों इतनी तेजी से बढ़ी?

चांदी का औद्योगिक उपयोग, विशेषकर सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बढ़ता माँग, साथ ही निवेशकों की सुरक्षा की चाह ने कीमतों को ऊपर धकेला।

डॉलर‑रुपिया का उतार‑चढ़ाव सोने की कीमत को कैसे प्रभावित करता है?

जब डॉलर कमजोर होता है, तो भारतीय आयात‑आधारित सोना महँगा हो जाता है, जिससे स्थानीय कीमतें बढ़ती हैं। उल्टा, डॉलर मजबूत होने पर मूल्य में गिरावट देखी जा सकती है।

फेडरल रिज़र्व की दर‑कट नीति कब घोषित होगी?

फेडरल रिज़र्व ने अपनी मौद्रिक नीति बैठक 14 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की है, जिसमें दर‑कट की संभावना पर व्यापक चर्चा होगी।

भविष्य में सोने‑चांदी में निवेश करने के लिए कौन सा विकल्प सुरक्षित है?

दीर्घकालिक निवेशकों के लिये शारीरिक सोना, ईटएफ और बैंक‑डिपॉज़िट दोनों सुरक्षित विकल्प हैं; लेकिन अल्प‑कालिक उतार‑चढ़ाव से बचने के लिये विविधीकरण जरूरी है।