मंच पर जो शख्स पल भर पहले दर्शकों को बांधे रखे था, वही अचानक गिर पड़ा—कोच्चि के एक होटल में रविवार रात यही हुआ। 49 साल के लोकप्रिय टीवी होस्ट और मलयालम अभिनेता राजेश केशव को कार्यक्रम के समापन पलों में कार्डियक अरेस्ट आया। मौजूद लोग घबरा गए, आयोजकों ने तुरंत उन्हें अस्पताल भिजवाया। 15-20 मिनट के भीतर लेकशोर हॉस्पिटल पहुंचने पर डॉक्टरों ने समय गंवाए बिना इमरजेंसी एंजियोप्लास्टी की और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया।
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक लंबे समय तक दिल के रुकने से दिमाग तक खून की आपूर्ति प्रभावित हुई, जिससे मध्यम स्तर की हाइपॉक्सिक (ऑक्सीजन की कमी से) ब्रेन इंजरी का अंदेशा है। शुरुआती घंटों में ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक गिर गया था, लेकिन अब स्थिर बताया जा रहा है और सपोर्टिव दवाओं की मात्रा धीरे-धीरे घटाई जा रही है। वे आईसीयू में एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट पर हैं और विशेषज्ञों की टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही है।
फिल्ममेकर प्रताप जयरलक्ष्मी ने सोशल मीडिया पर नियमित अपडेट दिए हैं। उनके मुताबिक, राजेश ने अभी तक पूरी तरह रिस्पॉन्ड नहीं किया है, लेकिन हल्की हरकतें देखी गई हैं। मेडिकल टीम ने साफ कहा है कि अगले 72 घंटे बेहद अहम होंगे—खासकर न्यूरोलॉजिकल रिकवरी, यानी दिमाग के कामकाज का संकेत क्या आता है, उसी पर आगे की दिशा तय होगी।
घटना, इलाज और ताज़ा स्थिति
घटना को समझने के लिए अब तक की पुख्ता जानकारी पर नजर डालते हैं:
- कार्यक्रम: कोच्चि के क्राउन प्लाजा होटल में पब्लिक इवेंट के समापन के वक्त मंच पर गिर पड़े।
- रेस्पांस टाइम: 15-20 मिनट में लेकशोर हॉस्पिटल पहुंचाया गया।
- क्लिनिकल इंटरवेंशन: डॉक्टरों ने कार्डियक अरेस्ट की पुष्टि के बाद इमरजेंसी एंजियोप्लास्टी की।
- वर्तमान स्थिति: वेंटिलेटर और एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट पर; आईसीयू में मल्टीडिसिप्लिनरी टीम (कार्डियोलॉजी, क्रिटिकल केयर, न्यूरोलॉजी) की निगरानी।
- न्यूरो अपडेट: हाइपॉक्सिक इंजरी का संदेह; बीपी अब स्थिर; दवाओं की डोज घटाई जा रही है।
अस्पताल की मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, सुधार के संकेत धीमे हैं पर मौजूद हैं। न्यूरो विंग में 24x7 मॉनिटरिंग हो रही है। छोटे-छोटे क्लिनिकल बदलाव, जैसे ब्लड प्रेशर का स्थिर होना या दवाओं की निर्भरता घटना, डॉक्टरों के लिए सकारात्मक संकेत माने जाते हैं, हालांकि अंतिम तस्वीर न्यूरोलॉजिकल रिस्पॉन्स से ही साफ होगी।
करियर की बात करें तो राजेश मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का पहचाना चेहरा हैं। उन्होंने Beautiful (2011), Trivandrum Lodge (2012), Hotel California (2013), Nee-Na (2015) और Thattum Purath Achuthan (2018) जैसी फिल्मों में काम किया। टीवी पर उनकी एंकरिंग ने उन्हें घर-घर पहुंचाया—इसी करिश्मे की वजह से वे स्टेज पर ऊर्जा से भरपूर दिखाई देते थे। इंडस्ट्री के कलाकारों और प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर उनके लिए दुआएं और साथ का संदेश भेजा है।
कार्डियक अरेस्ट क्या होता है, और रिकवरी कैसे तय होती है?
दिल का “हार्ट अटैक” और “कार्डियक अरेस्ट” एक नहीं होते। हार्ट अटैक में दिल की धमनियों में रुकावट से मांसपेशी को नुकसान होता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट में दिल की धड़कन अचानक बंद हो जाती है—मरीज बेहोश हो जाता है और सांसें रुक सकती हैं। यही वजह है कि पहले कुछ मिनट “गोल्डन” होते हैं: तुरंत सीपीआर, डिफिब्रिलेशन (यदि जरूरत हो) और अस्पताल में तेजी से इंटरवेंशन मरीज की जान और दिमाग दोनों बचा सकते हैं।
जब दिल अधिक देर तक धड़कना बंद रहता है तो दिमाग को ऑक्सीजन नहीं मिलती। कुछ ही मिनट में न्यूरो कोशिकाएं प्रभावित होने लगती हैं, जिसे हाइपॉक्सिक ब्रेन इंजरी कहते हैं। ऐसे मामलों में अस्पताल में टीम का फोकस तीन चीजों पर रहता है—दिल को स्थिर करना (ब्लड प्रेशर, रिदम), मूल कारण का इलाज (जैसे ब्लॉकेज हो तो एंजियोप्लास्टी), और दिमाग की सुरक्षा (ऑक्सीजन, वेंटिलेशन, कभी-कभी नियंत्रित तापमान थेरेपी जैसी रणनीतियां)।
रिकवरी का आकलन चरणों में होता है। शुरुआती 24-72 घंटे में डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल संकेत देखते हैं—आंखों की पुतलियों की प्रतिक्रिया, दर्द पर हरकत, अंगों की स्वत: मूवमेंट, और जरूरत हो तो ईईजी की मदद से दिमाग की विद्युत गतिविधि। कई बार सीटी/एमआरआई कराकर सूजन या चोट का अंदाजा लगाया जाता है। सेडेशन कम करते समय मरीज की जागरूकता और सांस लेने की क्षमता भी जांची जाती है। इसी आधार पर आगे की थेरेपी तय की जाती है।
लाइव इवेंट्स में सुरक्षा के नजरिये से यह घटना एक कड़ा रिमाइंडर है। बड़े आयोजनों में बेसिक मेडिकल रेडीनेस जरूरी है—मौके पर ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED), सीपीआर जानने वाले स्टाफ और अस्पताल तक फटाफट ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था समय बचाती है।
- इवेंट से पहले हेल्थ इमरजेंसी प्लान—कौन क्या करेगा, किसे फोन होगा, एंबुलेंस किसके संपर्क में होगी।
- स्टेज/बैकस्टेज पर AED और बेसिक फर्स्ट-रेस्पॉन्डर किट।
- कम से कम कुछ क्रू मेंबर्स को सीपीआर ट्रेनिंग।
- नजदीकी अस्पताल से औपचारिक टाई-अप और साफ रूट मैपिंग।
सामान्य लोगों के लिए भी सीख स्पष्ट है: अचानक बेहोशी और सांस रुकना कार्डियक अरेस्ट का संकेत हो सकता है—तुरंत 108/इमरजेंसी सेवा को फोन करें, सीपीआर शुरू करें और AED उपलब्ध हो तो निर्देशानुसार इस्तेमाल करें। छाती में दबाव, पसीना, मतली जैसे लक्षण हार्ट अटैक की तरफ इशारा कर सकते हैं—ऐसे में देरी न करें, सीधे अस्पताल जाएं।
फिलहाल फोकस राजेश की सेहत पर है। डॉक्टरों की टीम समय-समय पर बुलेटिन जारी कर रही है। परिवार, इंडस्ट्री और फैंस उम्मीद में हैं कि न्यूरोलॉजिकल रिस्पॉन्स बेहतर हो और वेंटिलेटर सपोर्ट धीरे-धीरे कम किया जा सके। जैसे-जैसे क्लिनिकल पैरामीटर्स स्थिर होंगे, इलाज की अगली रणनीति स्पष्ट होगी।