जब इंडिया मौसम विज्ञान विभाग ने 4 अक्टूबर 2025 को लाल अलर्ट जारी किया, तो उत्तर‑पूर्वी भारत के नागरिकों ने तुरंत अपनी योजनाओं पर सवाल उठाए। विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश में 21 सेमी से अधिक बारिश की संभावना ने हर घर की छत पर डर बना दिया। डॉ. अतुल सिंह, वरिष्ठ मौसम विज्ञानी, ने बताया कि यह अलर्ट दो अलग‑अलग प्रणाली – ओडिशा के अंदर एक डिप्रेशन और साथ‑साथ सक्रिय हो रहा एक तीव्र पश्चिमी व्यवधान – के परिणाम हैं। इन मौसमी ताकतों के टकराव से 4‑7 अक्टूबर तक पूरे देश में जलजमाव, बाढ़ और यातायात में गंभीर बाधाएँ पैदा हो सकती हैं।
मौसम प्रणाली का विस्तृत विवरण
डिप्रेशन, जो कि ओडिशा के आंतरिक भाग में चल रहा था, ने पूर्वी मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और बांग्लादेश‑सीमा वाले पश्चिमी पश्चिम बंगाल में भारी‑से‑बहुत भारी वर्षा लाई। वहीं, समान्य से अधिक शक्ति वाला पश्चिमी व्यवधान उत्तर‑पश्चिम भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बौछार, ओले और तेज़ बिजली‑तड़ित का कारण बना। इस व्यवधान का प्रभाव जम्मू‑और‑कश्मीर‑लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली तक विस्तृत था, विशेषकर 6 अक्टूबर को अपनी चरम सीमा पर पहुंचा।
मुख्य आंकड़े और दर्ज किए गए बारिश के स्तर
- सिवान (महाराजगंज) – 32 सेमी (24‑घंटे) – सबसे अत्यधिक दर्ज किया गया मान।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश में 7‑20 सेमी के बीच भारी वर्षा, जबकि कुछ स्थानों पर 21 सेमी से ऊपर (अत्यधिक) रिकॉर्ड हुआ।
- उत्तर बिहार में 21 सेमी से अधिक जलजमा हुआ, जिससे स्थानीय जलसंकट की आशंका बढ़ी।
- उत्तर‑पश्चिम में 6 अक्टूबर को 10 km/h से अधिक हवाओं के साथ बिजली गिरने की संभावना थी।
- राजस्थान के बिकानेर और जोधपुर डिवीजन में 5‑6 अक्टूबर को भारी बारिश के साथ गड़गड़ाहट की चेतावनी जारी।
IMD ने भारी (64.5‑115.5 mm), बहुत भारी (115.6‑204.4 mm) और अत्यधिक (204.4 mm से अधिक) वर्षा को परिभाषित किया है। पिछले 24 घंटों में, कोस्टल आंध्र प्रदेश, मराठवाड़ा, तमिलनाडु, असम और मेघालय में 7‑20 सेमी की भारी‑से‑बहुत भारी बारिश दर्ज हुई।

प्रभावित क्षेत्रों की प्रतिक्रिया और तैयारियाँ
पूर्वी यूपी के जिलों में स्थानीय प्रशासन ने कूच‑संकट को रोकने के लिए जल निकासी पंप की तैयारी कर ली है। लखनऊ, वाराणसी और इलाहाबाद में रोड बंद, स्कूलों की बंदी और सार्वजनिक परिवहन में बदलाव की घोषणा की गई। दिल्ली में दिल्ली और एनसीआर के लिए पीले अलर्ट जारी हुए, जिसमें 10 km/h तक की तेज हवाओं और रात‑भर की बौछार की चेतावनी दी गई।
जम्मू‑और‑कश्मीर‑लद्दाख में लोकल प्रशासन ने पहाड़ी बाढ़ और भूमि-भंवर के जोखिम को देखते हुए आपातकालीन टीपर की तैनाती कर दी। हिमाचल में सड़कों पर जलजमाव के कारण हाइड्रॉलिक टीमों को रेस्क्यू ऑपरेशन के लिये तैयार रखा गया।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएँ
डॉ. अतुल सिंह ने कहा, “पश्चिमी व्यवधान का सक्रिय होना अक्टूबर के मध्य में मॉनसून के पूरी तरह से हटने की संभावना को दर्शाता है। हम अगले 3‑4 दिनों में गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मॉनसून के पूरी तरह से पीछे हटने का अनुमान लगाते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह वर्षा “एक आखिरी बड़ी बूंद” हो सकती है, जिसके बाद आम तौर पर मौसम धीरे‑धीरे शुष्क दिशा में मोड़ लेता है।
वातावरण विशेषज्ञों ने सूचित किया कि दक्षिण‑पूर्वी कोन में तेज़ हवा और तेज़ बौछारें कृषि फसलों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, खासकर धान की फसल पर। दूसरी ओर, भारी वर्षा से जलभंडारों में जल स्तर बढ़ेगा, जिससे अगली गर्मियों में जल उपलब्धता की समस्या कम हो सकती है।

आगे क्या देखना चाहिए?
IMD ने अगले दो दिनों में चेतावनी जारी रखने और संभावित पुनरावृत्ति के लिए अपडेट देने का आश्वासन दिया है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि जलजमाव वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें, घर के आसपास निकासी मार्ग साफ रखें और तेज़ बवंडर के दौरान बाहर निकलने से बचें।
यदि आप दिल्ली या एनसीआर में हैं, तो रात‑भर की बौछार के दौरान मॉनिटर रखें और फॉल्टेबल पानी की बचत के उपाय अपनाएं। उत्तर‑पश्चिम में सड़कों पर फिसलन और धुंधली दृश्यता की संभावना है, इसलिए वाहन चालकों को धीमी गति से चलने और पूरे समय टर्न सिग्नल को काम में लाने की सलाह दी गई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारी बारिश से किसानों पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तरी और पूर्वी राज्य में धान के खेत पानी से भर सकते हैं, जिससे फसल टूटने का जोखिम बढ़ता है। वहीं, जलभंडार स्तर उठेंगे, जिससे अगली गर्मी में सिंचाई की स्थिति सुधर सकती है। विशेषज्ञ खेतियों को देर से बोने की सलाह दे रहे हैं।
क्या दिल्ली में ट्रैफ़िक पर असर पड़ेगा?
दिल्ली में पीला अलर्ट जारी होने से बाढ़ की संभावना है, इसलिए कई मुख्य सड़कों पर जलजमाव हो सकता है। ट्रैफ़िक पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग और पुलिस बैरियर की व्यवस्था की है, लेकिन यात्रियों को देर तक ट्रैफ़िक जाम की उम्मीद रखनी चाहिए।
पश्चिमी व्यवधान क्या है और यह कब तक रहेगा?
पश्चिमी व्यवधान एक ठंडी हवा‑के‑समुद्र की प्रणाली है जो तुच्छ तापमान को उत्तरी भारत तक ले आती है। वर्तमान में यह 4‑6 अक्टूबर के बीच तीव्रतम रहेगा, लेकिन IMD के अनुसार 7‑8 अक्टूबर तक इसका प्रभाव धीरे‑धीरे कम हो जाएगा।
भारी बारिश के दौरान कौन‑से सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए?
स्थानीय अधिकारियों की एवरीट चेतावनी सुनें, जलजमाव वाले इलाकों से दूर रहें, घर के आसपास पानी का निकास साफ रखें और यदि फ़्लडिंग होती है तो उच्चतम मंज़िल पर रहें। बाढ़ चेतावनी के समय तेज़ धारा में नहीं उतरें।
मॉनसून के पीछे हटने से क्या असर पड़ेगा?
एक बार मॉनसून पूरी तरह हट जाने पर शुष्क माहौल आएगा, जिससे जलस्रोतों में कमी आ सकती है। हालांकि, इस साल के अंत में जलभंडार स्तर ऊँचा रहने की संभावना है, जिससे अगली वर्षा सीजन में मदद मिल सकती है।
Mohammed Azharuddin Sayed
अक्तूबर 6, 2025 AT 18:55बाद में देखूँगा, लेकिन अब तो रास्ते बंद हो रहे हैं।