एक इंस्पेक्टर के बेटे ने रचा इतिहास

यूपीएससी परीक्षा के हर साल लाखों अभ्यर्थी सपने देखते हैं, लेकिन मेरठ के अभिनव शर्मा का सफर सबसे अलग और प्रेरणादायक रहा। अभिनव ने UPSC 2024 में 130वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बनने का मौका हासिल किया, जिससे उनके पिता रमेंद्र शर्मा की बरसों की ख्वाहिश भी पूरी हो गई।

अभिनव के पिता, रमेंद्र शर्मा मेरठ के दिल्ली गेट थाना इंचार्ज हैं और मूल रूप से पुलिस विभाग में कांस्टेबल के तौर पर अपनी सेवा शुरू की थी। धीरे-धीरे पदोन्नति पाते हुए आज वो इंस्पेक्टर हैं। बेटे अभिनव की इस उपलब्धि पर वे गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुद नहीं पता था कि अभिनव इतनी चुनौतियों के बीच किस लगन से तैयारी करता रहा।

बार-बार मिली असफलता, लेकिन नहीं टूटा हौसला

अभिनव का रास्ता आसान नहीं था। 2021 में जब उन्होंने पहली बार यूपीएससी देने की कोशिश की, तो प्रारंभिक परीक्षा में ही बाहर हो गए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2022 में इंटरव्यू तक पहुंचे मगर मेरिट लिस्ट से बाहर रह गए। अधिकांश लोग इतने में मनोबल खो देते, लेकिन अभिनव ने खुद से वादा किया था कि वह आईपीएस बनकर ही दम लेंगे।

2023 में आखिरकार उनको इंडियन पोस्टल सर्विस में जगह मिल गई थी, लेकिन ये उनके दिल की मंजिल नहीं थी। उन्होंने पोस्टिंग लेने की बजाय कुछ महीनों की छुट्टी ली और एक बार फिर पूरी ताकत लगा दी। चौथे प्रयास में आखिरकार किस्मत और मेहनत रंग लाई।

अभिनव की सफलता के पीछे उनके परिवार का मजबूत साथ भी जरूर रहा। पिता कानून और अनुशासन के जीवन से जुड़े रहे, वही प्रेरणा उनके बेटे में भी आई। उनकी मां ने भी हर बाधा में उनका हौसला बढ़ाया। अभिनव खुद बताते हैं कि बचपन से ही यूनिफॉर्म में पिता को देखना और आम लोगों की मदद करते देखना उन्हें सबसे अलग भावनाओं से जोड़ता था।

  • अभिनव की शुरुआती पढ़ाई मेरठ में ही हुई थी।
  • IIT पटना से बीटेक पूरा किया और टॉप लेवल प्राइवेट जॉब के कई ऑफर ठुकरा दिए।
  • सिविल सेवा को चुना ताकि समाज और सिस्टम दोनों को सुधारने का सपना पूरा कर सके।
  • अभिनव की सफलता आज मेरठ समेत पूरे इलाके के युवाओं के लिए रोल मॉडल बन चुकी है।

यूपीएससी की इस रोमांचक जर्नी में उन्होंने खुद को साबित किया, परिवार की उम्मीदों को परखा और हर बार मिली नाकामी से कुछ नया सीखा। आज उनके पिता रमेंद्र शर्मा के साथ ही पूरे पुलिस महकमे और समुदाय को भी उन पर गर्व है। सफलता की इस कहानी से साफ है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो रास्ते मुश्किल नहीं होते।