रोहिणी नक्षत्र, पृथ्वी तत्व का द्विपाद नक्षत्र है, जहाँ शुक्र ग्रह का प्रभाव प्रमुख है और यह वृषभ राशि के भीतर स्थित है। Also known as Rohini. यह नक्षत्र भारतीय ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है। हिंदू ज्योतिष, प्राचीन विज्ञान जो ग्रहीय स्थितियों को जीवन के विभिन्न आयामों से जोड़ता है में रोहिणी को सौंदर्य, समृद्धि और सृजनात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। जन्म कुंडली, व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का चार्ट है के अनुसार यदि रोहिणी नक्षत्र में स्थित हो तो व्यक्ति आमतौर पर दृढ़, आकर्षक और आर्थिक रूप से सक्षम माना जाता है। चंद्रमा, रात्रि के प्रकाश का प्रमुख स्रोत, जो नक्षत्रों की गति निर्धारित करता है की स्थिति रोहिणी के गुणों को और भी स्पष्ट कर देती है।
रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव को समझने के लिए पहले यह देखना चाहिए कि यह नक्षत्र किस तरह जीवन के प्रमुख क्षेत्रों में काम करता है। प्रथम, करियर के मामले में यह नक्षत्र व्यापार, निर्माण और कला के क्षेत्रों में सफलता दिलाता है; कई सफल उद्यमी और कलाकार अपने जन्म चार्ट में रोहिणी को प्रमुख पाते हैं। द्वितीय, रिश्तों में यह नक्षत्र रूप‑सौंदर्य और आकर्षण बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति के सामाजिक संपर्क सहज और प्रभावशाली होते हैं। तृतीय, स्वास्थ्य के संदर्भ में पृथ्वी तत्व का प्रभाव हड्डियों और जोड़ों की मजबूती को दर्शाता है, परंतु अत्यधिक तेज़ी से काम करने से थकान का जोखिम बढ़ सकता है।
वैदिक ज्योतिष में कहा जाता है कि राहु, उपरिग्रह जो खगोलीय भ्रम और अचानक बदलाव लाता है की स्थिति यदि रोहिणी के साथ हो तो उम्र के मध्य में अचानक उन्नति या अप्रत्याशित परिवर्तनों का संकेत मिलता है। वहीं केतु, निचला ग्रह जो आध्यात्मिक विकास और त्याग को दर्शाता है की बाधा सतत मानसिक शांति की तलाश को मजबूर करती है। शनि, नियम, अनुशासन और कड़ी मेहनत का प्रतिनिधित्व करता है जब रोहिणी पर गढ़ता है तो धैर्य और दृढ़ता से बड़ी उपलब्धियां हासिल हो सकती हैं, परंतु विलंबित परिणाम भी मिलते हैं। इन तीनों ग्रहों का रोहिणी पर असर समझने से दैनिक योजना बनाना आसान हो जाता है।
इस नक्षत्र की मुख्य विशेषताओं में से एक है संकल्प शक्ति की तेज़ी। लोग अक्सर रोहिणी वाले देखे जाने पर कहते हैं, “उसके पास लक्ष्य की ओर बढ़ने की अटूट इच्छा है।” यह कहा जा सकता है क्योंकि शुक्र ग्रह संकल्प और सौंदर्य को सम्मिलित करता है, जिससे व्यक्ति में रचनात्मक ऊर्जा प्रबल रहती है। इसके अलावा, रोहिणी का बोध “आकर्षण शक्ति” से जुड़ा है; सामाजिक मंच पर यह नक्षत्र व्यक्तिगत आकर्षण और प्रभाव को बढ़ाता है, जिससे सार्वजनिक जीवन में सफलता की संभावना वेग से बढ़ती है।
दैनिक रूप से रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव क्या दिखता है? चंद्रमा की गति के अनुसार, जब चंद्रमा रोहिणी में प्रवेश करता है तो महीने के शुरुआती दिनों में वित्तीय लेन‑देनों में लाभ की संभावना बढ़ जाती है। इस अवधि में निवेश, भूमि संबंधी लेन‑देन और नई व्यापारिक पहलें फलीभूत हो सकती हैं। दूसरी ओर, जब चंद्रमा रोहिणी से बाहर जाता है तो भावनात्मक उतार‑चढ़ाव की संभावना रहती है, इसलिए इस समय ध्यान और योग जैसी शान्ति‑भरी गतिविधियों पर ज़ोर देना उचित रहता है।
अंत में यह कहना सही रहेगा कि रोहिणी नक्षत्र सिर्फ एक ज्योतिषीय चिह्न नहीं, बल्कि जीवन के कई पहलुओं को जोड़ने वाला एक मजबूत कड़िया है। चाहे आप व्यवसायी हों, कलाकार, छात्र या गृहिणी, इस नक्षत्र के ज्ञान से आप अपने दैनिक निर्णयों को बेहतर ढंग से आकार दे सकते हैं। नीचे की सूची में आपको विभिन्न क्षेत्रों – खेल, राजनीति, मौसम, वित्तीय बाजार, स्वास्थ्य और संस्कृति – से जुड़े समाचार मिलेंगे, जहाँ रोहिणी नक्षत्र की छाया कभी‑कभी झलकती है। इन लेखों को पढ़ कर आप अपनी व्यक्तिगत कुंडली में रोहिणी के प्रभाव को पहचान सकते हैं और वास्तविक जीवन में उसका उपयोग कर सकते हैं।
Krishna Janmashtami 2024 को 26 अगस्त को मनाया गया, जिससे 26 या 27 तारीख के भ्रम को साफ़ किया गया। अस्थमी तिथि 03:39 एएम से 02:19 एएम तक चली, जबकि मुख्य पूजा आधी रात के बाद हुई। ब्रह्म मुहूर्त, अभिजीत मुहूर्त और निशिता पूजा के समय विशेष रूप से उल्लेखनीय थे। रोहिणी नक्षत्र की अवधि भी इस अवधि में आच्छादित रही। यह महीने के बधुपादी माह में कई अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के साथ जुड़ा है।