महिला प्रतिनिधित्व - क्यों है जरूरी और कैसे बढ़ेगा?

आपने कभी सोचा है कि हमारे संसद में महिलाओं की आवाज़ कितनी मजबूत है? आज का भारत तेज़ी से बदल रहा है, पर राजनीति में महिला प्रतिनिधित्व अभी भी कम है। इस पेज में हम यही देखेंगे कि क्यों महिलाओं को निर्णय‑लेने वाले मंचों में जगह चाहिए और किस तरह इसे बढ़ाया जा सकता है।

वर्तमान स्थिति

2024 के चुनावों में महिलाओं ने कुल सीटों का 14% ही जीता। जबकि जनसंख्या में महिलाएं 48% से अधिक हैं, संसद में उनका प्रतिशत काफी कम बना हुआ है। राज्य विधानसभा भी समान समस्या दिखाती है; कई राज्यों में महिला वैधानिक कोटा लागू हो रहा है पर वास्तविक भागीदारी अभी भी घटती दिखती है।

महिला सांसदों ने स्वास्थ्य, शिक्षा और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर खास ध्यान दिया है। लेकिन अक्सर उनके पास वही पद नहीं मिलते जो पुरुष सहयोगी आसानी से पा लेते हैं। यही कारण है कि महिला प्रतिनिधित्व को सिर्फ संख्या में ही नहीं, बल्कि शक्ति में भी बढ़ाना जरूरी है।

आधुनिक भारत में कई सफल महिला नेता दिखाते हैं कि अगर मौका मिला तो वे बड़े परिवर्तन कर सकती हैं। जैसे हिमाचल प्रदेश की सुषमा स्वराज ने जल प्रबंधन में नई नीतियां लाईं और बिहार की सुश्री राजेंद्र यादव ने ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया। इनके उदाहरण हमें बताते हैं कि महिला प्रतिनिधित्व से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है।

भविष्य के कदम

अगर आप चाहते हैं कि अधिक महिलाएँ राजनीति की मुख्यधारा में आएँ, तो कुछ ठोस उपाय अपनाने चाहिए:

  • कोटा को बढ़ाना: 33% का मौजूदा कोटा अभी भी कई जगहों पर लागू नहीं है। इसे कानून के माध्यम से सख्ती से लागू करना चाहिए।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम: महिलाओं के लिए विशेष नेतृत्व प्रशिक्षण, सार्वजनिक बोलने की कक्षाएं और नीति‑निर्माण कार्यशालाएँ आयोजित करने से उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • समुदायिक समर्थन: परिवार और सामाजिक दबाव अक्सर महिलाओं को बाहर रखने का कारण बनता है। स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर इस बाधा को कम किया जा सकता है।
  • मीडिया की भूमिका: मीडिया में महिलाओं की सकारात्मक कहानियों को उजागर करने से युवा लड़कियां राजनीति को अपना विकल्प मानेंगी।
  • सुरक्षा सुनिश्चित करना: चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन, हेल्पलाइन और तेज़ न्याय व्यवस्था बनाना जरूरी है।

इन कदमों को अपनाकर हम महिला प्रतिनिधित्व को सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि वास्तविक शक्ति बना सकते हैं। सोचिए अगर संसद में महिलाओं की आवाज़ दोगुनी हो जाए तो नीतियों में कितना बदलाव आएगा! यही वजह से हमें इस दिशा में लगातार काम करना चाहिए।

अंत में, यदि आप खुद महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ाने में योगदान देना चाहते हैं, तो अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करें, स्थानीय नेताओं से मुलाकात कर मुद्दों पर चर्चा करें और सोशल मीडिया पर सकारात्मक कहानियां शेयर करें। छोटा कदम भी बड़ी परिवर्तन की शुरुआत बन सकता है।

ममता बनर्जी ने महिला सांसदों की 38% हिस्सेदारी के साथ TMC की नेतृत्व क्षमता को किया उजागर

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) को उन गिने-चुने दलों में शामिल किया जो अपने निर्वाचित सांसदों में 38% महिला प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर रही हैं। यह उपलब्धि पार्टी की महिलाओं के हितों को बढ़ावा देने और उनकी राजनीतिक नेतृत्व में उपस्थिति को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

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