जब हम राजनीति, उद्योग या खेल की बात करते हैं, तो अक्सर पुरुषों के नाम सुनते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर महिलाएँ भी बराबर हिस्सेदारी लें तो समाज कैसे बदल सकता है? महिला प्रदर्शन सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में महिलाओं की आवाज़ को मजबूत करने का तरीका है।
हर साल हमारे देश में कई महिलाएं नए‑नए क्षेत्रों में कदम रख रही हैं – चाहे वह सॉफ्टवेयर कंपनी का सीईओ हो या गाँव की पंचायत की प्रमुख. उनका योगदान हमें दिखाता है कि क्षमता लिंग से नहीं, अवसरों से तय होती है। अगर हम इन कहानियों को पहचानें और समर्थन दें तो महिला प्रदर्शन की गति तेज़ होगी.
1. राजनीति – संसद या राज्य विधानसभा में महिलाओं की संख्या अभी भी कम है। जब महिलाएं निर्णय लेने वाली सीटों पर होती हैं, तो स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा जैसे मुद्दे बेहतर ढंग से उठते हैं.
2. व्यवसायिक दुनिया – स्टार्ट‑अप्स या बड़े कॉर्पोरेट में महिलाओं का नेतृत्व बढ़ रहा है। उनकी विविध सोच कंपनी के प्रोडक्ट को नई दिशा देती है, जैसा कि कई सफल महिला उद्यमियों ने दिखाया है.
3. खेल और संस्कृति – क्रिकेट, फ़िल्में या संगीत में महिलाएं अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि प्रमुख कलाकार बन रही हैं। विकी कौशल की ‘छावाँ’ जैसी फ़िल्में इस बात का प्रमाण हैं कि महिला कहानियां भी बॉक्स ऑफिस जीत सकती हैं.
पहला कदम है शिक्षा. लड़कियों को स्कूल और कॉलेज में वही अवसर देना जो लड़कों को मिलते हैं। स्कॉलरशिप, मेन्टरशिप या इंटर्नशिप जैसी सुविधाएं उन्हें व्यावसायिक दुनिया में आत्मविश्वास देती हैं.
दूसरा, कार्यस्थल पर लिंग‑समान नीति लागू करना जरूरी है. पेरेंटाल लीव, फ्लेक्सी टाइम और सुरक्षित कामकाजी माहौल महिलाओं को करियर बनाने में मदद करता है। कंपनियां अब कई बार क्वोटा के जरिए बोर्ड में महिला प्रतिनिधित्व बढ़ा रही हैं.
तीसरा, सामाजिक मान्यताओं को बदलना होगा. घर में भी अगर महिलाओं की राय का सम्मान हो तो वे बाहर भी दृढ़ता से बोल पाएंगी। मीडिया और सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर सकारात्मक रोल मॉडल दिखाने से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी.
आख़िर में, हमें हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि महिला प्रदर्शन सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज की प्रगति का संकेत है। जब महिलाएं अपने अधिकारों और काबिलियत को पहचानें और उपयोग करें, तो देश की विकास गति भी तेज़ हो जाएगी.
तो आप क्या करेंगे? आज ही किसी स्थानीय पहल में हिस्सा लें या सोशल मीडिया पर महिलाओं के सफल उदाहरण साझा करके बदलाव की शुरुआत बनें. छोटी‑छोटी कोशिशें मिलकर बड़ा अंतर लाएंगी।
कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के रेप और हत्या के बाद राज्यभर में जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ। 'रात्रि को पुनः प्राप्त करें' अभियान के तहत महिलाओं ने विभिन्न शहरों में आधी रात को सड़कों पर उतर कर न्याय की मांग की। इस दौरान हिंसा भी हुई और पुलिस ने उपद्रवियों पर आँसू गैस का भी प्रयोग किया।