गुलाबी डॉल्फिन भारत की मीठे पानी वाली डॉल्फिनों में से एक है, जिसे अक्सर गंगा डॉल्फिन या सुईडिया कहा जाता है। इसका रंग हल्का गुलाबी‑सफेद होता है, इसलिए लोगों ने इसे ‘गुलाबी’ नाम दिया है। ये जीव नदियों के साफ़ पानी में रहती हैं और अपने छोटे आकार व तेज़ आवाज़ के लिए जानी जाती हैं।
मुख्य रूप से गंगा, ब्रह्मपुत्र और यमुना जैसी बड़ी भारतीय नदियों में इनका पता चलता है। कुछ क्षेत्रों में ये महात्मा गांधी राष्ट्रीय उद्यान के पास भी देखी गई हैं। पानी की साफ़-सफ़ाई, पर्याप्त मछली और कम प्रदूषण ही इनके रहने का कारण बनता है। अगर नदी में बहुत ज्यादा रासायनिक कचरा जमा हो जाए तो इनका घर मुश्किल से बच पाता है।
गुलाबी डॉल्फिन की आबादी धीरे‑धीरे घट रही है। बड़े बांध, जलवायु परिवर्तन और मछली पकड़ने के जालों में फँसना इनके प्रमुख खतरे हैं। अगर हम अब कदम नहीं उठाए तो ये प्रजाति लुप्त हो सकती है। सरकार ने कुछ संरक्षण क्षेत्रों का ऐलान किया है, पर स्थानीय लोगों की भागीदारी भी ज़रूरी है।
आप अपने आसपास के नदियों को साफ़ रखने में मदद कर सकते हैं। प्लास्टिक कचरा निकालना, जल प्रदूषण रोकने वाले नियमों का समर्थन करना और जागरूकता फैलाना छोटे‑छोटे कदम बड़े बदलाव लाते हैं। स्कूल या कॉलेज में पर्यावरण क्लब बनाकर भी आप इस मुद्दे पर काम कर सकते हैं।
गुलाबी डॉल्फिन केवल एक जलजीव नहीं, बल्कि नदी के स्वास्थ्य का संकेतक है। अगर ये जीव स्वस्थ होंगे तो नदियों की जैव विविधता भी बनी रहेगी। इसलिए इनके संरक्षण को व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी समझें।
संक्षेप में, गुलाबी डॉल्फिन भारत के मीठे पानी की अनमोल धरोहर है। साफ़ जल, सुरक्षित आवास और कम जाल ही इन्हें बचा सकते हैं। आप भी छोटे‑छोटे कदम लेकर इस अद्भुत प्राणी को भविष्य दे सकते हैं।
सोशल मीडिया पर एक दुर्लभ गुलाबी डॉल्फिन की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसने लोगों में हैरानी और संदेह पैदा कर दिया है। ये तस्वीरें उत्तर कैरोलिना के तट से ली गई हैं, लेकिन इनकी वास्तविकता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ये तस्वीरें असली हैं, जबकि अन्य इसे AI निर्मित या प्लास्टिक मॉडल मान रहे हैं।