जब हम Ashtami Tithi, हिन्दू पंचांग की आठवीं तिथि है, जो शुक्ल या कृष्ण पक्ष में आती है. Also known as अष्टमी, it marks the day when many प्रमुख festivals celebrate their peak. इस एक ही वाक्य में हमने तिथि की मूल परिभाषा दी, अब देखें क्यों यह इतना खास है।
अष्टमी का जश्न कई धार्मिक परंपराओं में अलग‑अलग रूप लेता है। Navaratri, नवभारतीय महीने में नौ रातों एवं नौ दिनों का उत्सव है, जिसमें अष्टमी को विशेष महत्व दिया जाता है की बात करें तो हर साल की अष्टमी में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इसी तरह, Durga Puja, पश्चिम बंगाल और केंद्र भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख उत्तरावली तीज है, जिसका मुख्य दिन अष्टमी होता है में महालाक्ष्मि, काली और काली के विभिन्न स्वरूपों को सजाया जाता है और बड़े पंडाल लगते हैं। इन दोनों उदाहरणों से स्पष्ट है कि Ashtami Tithi “includes major festivals” और “requires elaborate rituals”.
कुशाग्रता से देखे तो अष्टमी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्लेटफ़ॉर्म भी है। हर घर में माँ दुर्गा या शरणागत श्वेत दैत्य को अष्टमी व्रत के साथ सम्मानित किया जाता है। व्रती दिन में सात‑सात समय का उपवास रखता है, और शाम को अष्टमी जल में स्नान करके पूजा करता है। इस दौरान पाँचों इंद्रियों को शुद्ध करने के लिए विशेष व्यंजन तैयार किये जाते हैं, जैसे घी‑पोहा, पोहाई और फरोटी। इन रिवाज़ों से अष्टमी “relates to fasting practices” और “enhances spiritual discipline”.
अष्टमी केवल देवियों को नहीं, बल्कि शाकीय (कृष्ण) भगवान को भी समर्पित है। Krishna Janmashtami, भगवान विष्णु के आठवें अवतार के जन्म को मनाने वाला त्यौहार है, जो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को पड़ता है इस तिथि की विविधता को दर्शाता है। इस दिन भक्त लोग रात में घोड़े की सवारी, रासलीला और दही‑हांडी तोड़ने वाले खेलों में भाग लेते हैं। जब आप अष्टमी को सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टिकोण से देखते हैं, तो यह “connects festivals and cultural events” के एक प्रमुख कड़ी बन जाता है।
अब बात करते हैं कि ये तिथि कब और कैसे तय होती है। Panchang, हिंदू कैलेंडर का विस्तृत संस्करण है, जिसमें तिथि, नक्षत्र, योग और करण की जानकारी मिलती है के अनुसार ही अष्टमी की शुद्धता निर्धारित की जाती है। पंचांग के अनुसार शुक्ल या कृष्ण पक्ष के अष्टमी का समय अलग‑अलग हो सकता है, इसलिए शूड (मुहूर्त) देख कर ही पूजा करना बेहतर माना जाता है। इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि Ashtami Tithi “requires astronomical calculation” और “depends on Panchang”.
व्यावहारिक रूप से, अष्टमी के दिन कई लोग शादी, घर में प्रवेश (ग्रीहप्रवेश) या नयी योजना की शुरुआत करते हैं। इस दिन की शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा को देखते हुए व्यापारिक लोग भी नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना पसंद करते हैं। इसका कारण यह है कि अष्टमी “influences personal and commercial activities” और इस दिन की शुभता कई सामाजिक मान्यताओं में गहरी जड़ें जमा चुकी है।
और इस प्रकार हमने अष्टमी तिथि के इतिहास, त्यौहार, रिवाज़ और गणना के पहलुओं को समझा। नीचे आप विभिन्न लेखों में अष्टमी तिथि से जुड़ी ख़बरों, गहन विश्लेषण और नवीनतम अपडेट पाएँगे, जो आपके धार्मिक कैलेंडर को और अधिक सटीक बनायेंगे।
Krishna Janmashtami 2024 को 26 अगस्त को मनाया गया, जिससे 26 या 27 तारीख के भ्रम को साफ़ किया गया। अस्थमी तिथि 03:39 एएम से 02:19 एएम तक चली, जबकि मुख्य पूजा आधी रात के बाद हुई। ब्रह्म मुहूर्त, अभिजीत मुहूर्त और निशिता पूजा के समय विशेष रूप से उल्लेखनीय थे। रोहिणी नक्षत्र की अवधि भी इस अवधि में आच्छादित रही। यह महीने के बधुपादी माह में कई अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के साथ जुड़ा है।