जब GoodReturns ने 26 सितंबर 2025 को 24‑कैरेट सोने की कीमत को ₹11,443 प्रति ग्राम बताया, तो निवेशकों की आशा‑उत्सुकता का क्षणिक झटका लगा। लेकिन उसी दिन 5paisa और Indian Express ने रिपोर्ट किया कि कीमतें बढ़कर ₹11,488 तक पहुंच गई थीं। यह विरोधाभास न केवल डाटा‑संग्रह का अंतर दर्शाता है, बल्कि भारतीय बाजार में अस्थायी उथल‑पुथल का भी संकेत है।सोने की कीमत के इस तेज़‑फुरतीले झूले को समझने के लिए हमें इन आँकड़ों के पीछे के कारणों को देखना होगा।
बाजार का परिदृश्य: 26 सितंबर 2025 की उलझन
अधिकांश प्रमुख शहरों में कीमतों में मतभेद स्पष्ट था। चेन्नई ने 24‑कैरेट सोने के लिए ₹11,465‑₹11,509 प्रति ग्राम की सीमा प्रस्तुत की, जबकि दिल्ली ने ₹11,458‑₹11,503 के बीच मूल्य बताया। मुंबई ने अपने राष्ट्रीय औसत को बनाए रखा, यानी ₹11,443 प्रति ग्राम। कुछ मध्य प्रदेश के शहर जैसे वडोदरा और अहमदाबाद ने थोड़ा प्रीमियम लगाते हुए लगभग ₹11,448 प्रति ग्राम मूल्य दिखाया।
यह अंतर स्थानीय मांग, आपूर्ति में विविधता और रिपोर्टिंग टाइम‑ज़ोन के कारण हो सकता है। कुछ प्लेटफ़ॉर्म ने सुबह‑सुबह के डेटा को पेश किया, जबकि अन्य ने शाम‑शाम के अपडेट को प्राथमिकता दी। परिणामस्वरूप, निवेशकों को वही दिन में दो अलग‑अलग मूल्य देखे।
शहरी दरों में अंतर और कारण
10‑ग्राम की दरों पर नज़र डालें तो 22‑कैरेट सोना GoodReturns के अनुसार ₹1,05,300 पर पहुँच गया, यानी दो‑दिन की गिरावट के बाद ₹400 का ‘बूस्ट’। यह कीमतों में अचानक सुधार को दर्शाता है, जो अक्सर त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग के साथ जुड़ा रहता है। 18‑कैरेट सोना भी विभिन्न शहरों में ₹8,582‑₹8,699 के बीच विचलित हुआ।
ऐसे परिवर्तन के पीछे दो प्रमुख कारण हैं: पहला, उत्तरी भारत में आने वाले दशहरा‑दीवाली की खरीदारी, जहाँ सोना हमेशा निवेशक का पसंदीदा विकल्प रहता है; दूसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूत स्थिति और यू.एस. फेडरल रिज़र्व के संभावित दर‑बढ़ोतरी की अटकलें, जो अभी भी भारत में सोने को ‘सेफ़‑हैवन’ बनाती हैं।
विश्लेषक जतेन त्रिवेदी की तकनीकी टिप्पणी
जब Jateen Trivedi, VP Research Analyst at LKP Securities ने कहा कि MCX पर गोल्ड फ्यूचर्स लगभग ₹1,13,940 पर ट्रेड कर रहे हैं, तो इसका अर्थ था कि बाजार में ‘एक्सहॉस्टन’ संकेत दिख रहा था। उन्होंने EMA‑8 को EMA‑21 के नीचे गिरते हुए देखा, जो अल्पकालिक मोमेंटम की कमजोरी बताता है।
त्रिवेदी ने सुझाव दिया: "इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए ‘सेल‑ऑन‑राइज़’ स्ट्रेटेजी अपनाएँ, एंट्री ज़ोन ₹1,13,700‑₹1,13,900 के बीच, स्टॉप‑लॉस ₹1,14,325 पर रखें और टार्गेट ₹1,13,400‑₹1,13,200 रखे।" उनका मानना था कि बॉलींगर बैंड मध्य‑बैंड के करीब हैं, जिससे मंदी की संभावना बढ़ रही है।
वैश्विक कारक और भविष्य की दिशा
अमेरिका में जारी आर्थिक डेटा और फेड की दर‑घोषिताओं की प्रतीक्षा बाजार में सतर्कता बनाए रखती है। विश्व स्तर पर मुद्रास्फीति की चिंताएं और भू‑राजनीतिक तनाव सोने को आकर्षक बनाते हैं। इसलिए, भारत में सोने की निरंतर मांग के बावजूद, कीमतों में छोटे‑छोटे गिराव‑उछाल देखे जा रहे हैं।
भविष्य में, अगर फेड के ब्याज‑दर में गिरावट आती है तो आम तौर पर सोने की कीमतों में स्थिरता या बढ़ोतरी देखी जायेगी। लेकिन यदि अमेरिकी रोजगार डेटा बेहतर निकलता है, तो डॉलर की ताकत बढ़ेगी और गोल्ड के लिए ‘सेफ़‑हैवन’ का आकर्षण थोड़ा कम हो सकता है।
निवेशकों के लिये क्या रणनीति?
ज्यादा तेज़‑फ़्लैश ट्रेडिंग की बजाय दीर्घकालिक निवेशकों को सोने को इनफ़्लेशन‑हेज के रूप में रखना चाहिए। छोटे‑परिवर्तन वाले दिनों में, जतेन त्रिवेदी जैसी विशेषज्ञों की तकनीकी सिफ़ारिशें मददगार हो सकती हैं, परंतु त्योहारी सीजन में कीमतों में स्थायी उछाल की संभावना अधिक है।
इसी तरह, चांदी ने भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की: कीमतें ₹1,43,690 पर पहुँची, यानी ₹1,500 का इज़ाफ़ा। चांदी अक्सर सोने की तुलना में अधिक तेज़ी से प्रतिक्रिया देती है, इसलिए इसे पोर्टफ़ोलियो में विविधीकरण के लिए उपयोग किया जा सकता है।
Frequently Asked Questions
सोने की कीमतों में उतार‑चढ़ाव का मुख्य कारण क्या है?
मुख्य कारणों में त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा‑संकट, और यू.एस. फेडरल रिज़र्व की दर‑नियोजन की अनिश्चितता शामिल हैं। स्थानीय रिपोर्टिंग टाइम‑ज़ोन के अंतर से भी दिन‑भर कीमतों में मतभेद दिखता है।
क्या निवेशकों को अभी सोने में खरीदारी करनी चाहिए?
दीर्घकालिक निवेशकों के लिए सोना अभी भी महँगी महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता के ख़िलाफ़ एक सुरक्षित उपकरण है। छोटे‑समय के ट्रेडर्स को जतेन त्रिवेदी की तकनीकी सलाह के अनुसार ‘सेल‑ऑन‑राइज़’ स्ट्रेटेजी अपनानी चाहिए।
चांदी की कीमतें इतनी तेज़ क्यों बढ़ी?
चांदी अक्सर सोने से तेज़ी से प्रतिक्रिया देती है क्योंकि उसका बाजार आकार छोटा है और निवेशकों का स्पेकुलेशन अधिक होता है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने सुरक्षित संपत्तियों की ओर धक्का दिया, जिससे चांदी की कीमतें बढ़ीं।
भविष्य में सोने की कीमतों पर कौन से कारक असर डाल सकते हैं?
अमेरिकी रोजगार डेटा, फेड की ब्याज‑दर नीति, और भारतीय त्योहारी मांग प्रमुख निर्धारक रहेंगे। यदि फेड दर‑कटौती करता है तो कीमतें ऊपर जा सकती हैं; दूसरी ओर, अगर डेटा मजबूत रहता है तो कीमतों पर दबाव आ सकता है।
Balaji Srinivasan
सितंबर 29, 2025 AT 21:37सिर्फ कीमतों का झुकाव देख कर घबराने की जरूरत नहीं है।
पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में समान उतार‑चढ़ाव हुआ है, इसलिए निवेशकों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए।
त्योहारी सीजन में मांग के कारण कीमतें कभी‑कभी तेज़ी से बढ़ती हैं, पर यह अस्थायी हो सकता है।
अगर आप दीर्घकालिक निवेश की सोच रहे हैं, तो सोना अभी भी एक सुरक्षित संपत्ति माना जाता है।
वर्तमान में बाजार की अस्थिरता को देखते हुए छोटे‑समय के ट्रेडिंग की बजाय स्थायी पोर्टफ़ोलियो पर ध्यान देना बेहतर रहेगा।