बुद्धदेव भट्टाचार्य का जीवन और योगदान
पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य का कोलकाता स्थित उनके निवास पर गुरुवार सुबह 8.20 बजे निधन हो गया। 80 वर्ष के भट्टाचार्य पिछले कुछ वर्षों से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से ग्रस्त थे। उनके निधन के समाचार से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। बुद्धदेव भट्टाचार्य अपने पीछे अपनी पत्नी मीरा और बेटी सुचेतना को छोड़ गए हैं।
राजनीतिक सफर
भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर एक लंबे और प्रभावशाली करियर से भरा रहा है। 2000 में जब ज्योति बसु ने स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब भट्टाचार्य ने उनके स्थान पर मुख्यमंत्री पद संभाला। उस मौके पर वह अनवरत दो विधानसभा चुनावों में 2001 और 2006 में वाममोर्चा को जीत दिलाने में सफल रहे। उनके नेतृत्व में पश्चिम बंगाल ने कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे, जिसमें प्रमुखत: औद्योगिकरण की दिशा में किए गए उनके प्रयास शामिल हैं।
औद्योगिकरण और विकास
बुद्धदेव भट्टाचार्य को विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में औद्योगिक क्रांति की दिशा में किए गए कार्यों के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने राज्य में आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश को आकर्षित किया। उनके प्रयासों से राज्य में टाटा नैनो प्लांट की स्थापना सिंगूर में हुई और नंदीग्राम में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की योजना बनाई गई। हालांकि, इन प्रयासों को विरोध का सामना भी करना पड़ा, लेकिन यह उनकी दूरदर्शिता का सूचक था।
स्वास्थ्य समस्याओं का सामना
बुद्धदेव भट्टाचार्य पिछले कुछ वर्षों से स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे। बुधवार रात को उनकी सांस की समस्याएं बढ़ गईं और उन्हें कोलकाता के वुडलैंड्स अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा जाँच के लिए ले जाया जाना था। हालाँकि, सुबह तक उनकी हालत और बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
सार्वजनिक जीवन और साहित्यिक योगदान
भट्टाचार्य ने न केवल राजनीतिक क्षेत्र में बल्कि साहित्यिक योगदान भी दिया। 2019 में, वह आखिरी बार एक सीपीआईएम रैली में देखे गए थे, लेकिन धूल एलर्जी के कारण उन्हें घर लौटना पड़ा। 2024 के चुनावों के दौरान, उनकी पार्टी ने एक वीडियो जारी किया जो एआई का उपयोग करके तैयार किया गया था, जिसमें उन्होंने मतदाताओं से वाम और धर्मनिरपेक्ष शक्तियों का समर्थन करने का आग्रह किया।
भट्टाचार्य के निधन पर राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं और उनके बंगाली साहित्य और सार्वजनिक सेवा में योगदान को सराहा है। असम के मुख्यमंत्री हिमanta बिस्वा सरमा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने उनकी विनम्रता, महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी समर्पण की प्रशंसा की है।
बुद्धदेव भट्टाचार्य का पांच दशकों से अधिक का अनुभव, सांसद, मंत्री और बाद में मुख्यमंत्री के रूप में उनकी विरासत को अमर बनाए रखेगा।
Sarith Koottalakkal
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