स्मृति ईरानी और अनुराग ठाकुर को मोदी 3.0 कैबिनेट से बाहर किया गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है और इस बार उनकी कैबिनेट में कई बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख नाम है स्मृति ईरानी और अनुराग ठाकुर का, जिन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है।
स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी, जिन्होंने पहले दो कार्यकाल में महिला और बाल विकास मंत्रालय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाली थी, उन्हें इस बार कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है। अमेठी से लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी उनकी काबिलियत और मेहनत की तारीफें होती रही हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें नए कैबिनेट में स्थान नहीं मिला।
अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर, जो हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से चुनाव जीत चुके हैं, उन्हें भी इस बार नई कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है। अनुराग ठाकुर के पास पहले खेल मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। उनकी पिछले कार्यकाल के दौरान की गईं उपलब्धियां अपनी जगह हैं, लेकिन नए कैबिनेट फॉर्मेशन में वह शामिल होने से चूक गए।
अन्य प्रमुख चेहरे
राजीव चंद्रशेखर, जो केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस नेता शशि थरूर से करीबी मुकाबले में हार गए थे, वे भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं बना पाए। मोदी 3.0 कैबिनेट में 34 मंत्रियों को नहीं रखा गया है, जिसमें कई प्रमुख नाम जैसे अर्जुन मुंडा, नारायण तातु राणे, राज कुमार सिंह, महेंद्र नाथ पांडेय, और परशोत्तम रुपाला शामिल हैं।
इन मंत्रियों की गैरमौजूदगी कई सवाल खड़े करती है और पार्टी की आंतरिक रणनीति और गणित को दर्शाती है।
नए मंत्रियों की शपथ
इसके विपरीत, पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं जैसे अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, निर्मला सीतारमण, और मनसुख मंडाविया ने इस बार फिर से शपथ ली है। ये सभी नेता पार्टी की धुरी रहे हैं और मोदी सरकार के पिछले कार्यकालों में अहम भूमिका निभाई है।
इन मंत्रियों की दोबारा नियुक्ति ने दर्शाया है कि पार्टी को इनके काम पर पूरा भरोसा है और इन्हें अपने-अपने विभागों में बदलाव और विकास लाने की उम्मीद है।
कैबिनेट विस्तार की आंतरिक रणनीति
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कैबिनेट में हुए इन बड़े बदलावों से साफ संकेत मिलते हैं कि सरकार अपने अगले पांच वर्ष के कार्यकाल में नई ऊर्जा और नई सोच के साथ आगे बढ़ना चाहती है। कई लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े नेता अब कैबिनेट में शामिल नहीं हैं, इसका अर्थ है कि या तो राजनीति में उनकी भूमिका बदल रही है या फिर वो पार्टी के अन्य मोर्चों पर कार्य करेंगे।
इसी के साथ, युवाओं और नए नेताओं को अधिक मौके देना चाहती है। वरिष्ठ नेताओं के साथ युवाओं का अनुभव और ऊर्जा मिलाकर एक नया संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है। इससे पार्टी की रीति-नीति और कार्य करने के ढंग में भी नए बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
जो नए लोग कैबिनेट में शामिल हुए हैं, उनसे बड़ी उम्मीदें हैं कि वे अपने-अपने मंत्रालयों में नवाचार और कुशलता लाकर पार्टी और सरकार की छवि को और मजबूत करेंगे।
अमित शाह और राजनाथ सिंह का महत्वपूर्ण रोल
अमित शाह और राजनाथ सिंह जैसे कद्दावर नेता पार्टी की रणनीति और नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दोनों का दोबारा कैबिनेट में शामिल होना ये दर्शाता है कि पार्टी इनके अनुभव और दृष्टिकोण को सर्वोपरि मानती है।
नितिन गडकरी और पीयूष गोयल जैसे नेता भी अपनी कार्यकुशलता के लिए जाने जाते हैं और उनका वापस शामिल होना ये संकेत देता है कि सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर और व्यापार के क्षेत्र में बड़े बदलाव की योजना बना रही है।
आर्थिक मोर्चे पर फोकस
निर्मला सीतारमण का फिर से वित्त मंत्रालय में बने रहना आर्थिक स्थिरता और सुधार की दिशा में सरकार की वचनबद्धता को उजागर करता है। पिछले कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण आर्थिक नीतियां प्रस्तुत की थीं और इस बार उनसे और भी बड़े कदमों की उम्मीद की जा रही है।
मनसुख मांडविया का स्वास्थ्य मंत्रालय में बरकरार रहना कोरोना महामारी के दौर में उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना है। नए कार्यकाल में उन्हें स्वास्थ्य सेवा में सुधार पर और भी ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
इस प्रकार, मोदी 3.0 कैबिनेट में हुए बदलाव सत्ता में एक नई दिशा और दृष्टिकोण का संकेत है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी एक संतुलित टीम के साथ आगे बढ़ना चाहती है, जिसमें अनुभव और युवा ऊर्जा का संगम हो। अब देखना यह होगा कि ये नई कैबिनेट किस प्रकार अपने वादों को पूरा करती है और देश को विकास के पथ पर अग्रसर रखती है।