भारी बारिश के कारण कोझिकोड में स्कूलों में छुट्टी
कोझिकोड जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के चलते जिला कलेक्टर ने चार महत्वपूर्ण स्कूलों में कल छुट्टी की घोषणा की है। इन स्कूलों में चेवयूर ईगो क्वाटर्स हाई स्कूल, कोझिकोड IHSS टेक्निकल हायर सेकेंडरी स्कूल, कोट्टोली GLPS स्कूल और मत्तोली आंगनवाड़ी शामिल हैं। जिला कलेक्टर डी.आर. मेघाश्री ने यह निर्णय लिया है ताकि राहत शिविर के रूप में इस्तेमाल हो रहे इन स्कूलों में ठहरे लोगों को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
कोझिकोड में हो रही लगातार बारिश ने जनजीवन को काफी प्रभावित किया है। पूरे इलाके में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं और इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं। राहत शिविरों में ठहरे लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे इन स्कूलों में शिक्षा का कार्य सामान्य रूप से नहीं चल पा रहा है।
वायनाड जिले में भी शैक्षणिक संस्थान बंद
इसी के साथ, वायनाड जिले के सभी शैक्षणिक संस्थान भी 18 जुलाई को बंद रहेंगे। इसमें ट्यूशन सेंटर्स, आंगनवाड़ी और प्रोफेशनल कॉलेज सभी शामिल हैं। वायनाड जिले के स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान भी भारी बारिश के कारण प्रभावित हो रहे हैं। जिला कलेक्टर ने यह आदेश जारी किया ताकि विद्यार्थियों और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल इस छुट्टी के आदेश से बाहर हैं और पूर्व में निर्धारित परीक्षाएं भी अपने नियत समय पर ही होंगी।
सुरक्षा और राहत के उपाय
प्रशासन ने जनता की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जन जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग इस स्थिति में सुरक्षित रह सकें। साथ ही, राहत कार्यों को भी तीव्र गति से अंजाम दिया जा रहा है। राहत शिविरों में स्वास्थ्य सेवाओं का भी इंतजाम किया गया है ताकि किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से निपटा जा सके।
राहत शिविरों में ठहरे लोगों को भोजन, पानी और अन्य आवश्यक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। प्रशासन की टीम लगातार इन शिविरों की स्थिति पर नजर रख रही है और आवश्यकतानुसार कदम उठा रही है।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन की तत्परता और उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि इस मुश्किल घड़ी में लोगों को राहत मिल पा रही है। जिला कलेक्टर स्वयं सभी राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे रहे हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्रियां सही समय पर पहुंच जाएं।
इस विपरीत परिस्थिति में स्थानीय लोगों का सहयोग भी काबिल-ए-तारीफ है। वे अपने स्तर पर भी एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं और प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्यों में योगदान दे रहे हैं।
भविष्य की तैयारियां
भविष्य में ऐसे अस्थायी कदमों को कम करने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं भी बनाई जा रही हैं। जल-निकासी प्रणाली को सुधारा जा रहा है और कमजोर संरचनाओं की मरम्मत की जा रही है। प्रशासन द्वारा बनाई गई नई योजनाओं में यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न न हो।
इस प्रकार, कोझिकोड और वायनाड जिले के लोग प्रशासन के इन निर्णयों के प्रति अपनी संतुष्टि जाहिर कर रहे हैं और राहत कार्यों में अपने हिस्से का योगदान भी दे रहे हैं। प्रशासन के इस प्रकार के त्वरित कदमों से ही किसी भी आपदा से निपटने में आसानी होती है और जन-जीवन को जल्द से जल्द सामान्य बनाया जा सकता है।
भारी बारिश के बावजूद स्थानीय लोग भी इस संकट स्थिति में सजीवता और उत्साह बनाए रखे हुए हैं, जो इस कठिन समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Gaurav Mishra
जुलाई 19, 2024 AT 17:57Praveen S
जुलाई 21, 2024 AT 06:04हमारे शहरों में जल निकासी की कोई योजना नहीं, सड़कें बिना ढलान के, नहरें भर दी गईं, और अब बारिश हो गई-अब हम छुट्टी घोषित कर रहे हैं? ये तो इलाज है, बीमारी का नहीं।
हमें इस बारिश को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए-एक ऐसा अवसर जो हमें अपनी असफलताओं को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दे।
क्या हम वाकई इतने अनुत्तरदायी हैं कि हर बारिश के बाद हमें बच्चों को घर भेजना पड़े?
हमारी शिक्षा प्रणाली भी बाढ़ के लिए तैयार नहीं है, और हम उसे बदलने की कोशिश नहीं कर रहे।
हम तो बस इतना करते हैं-छुट्टी घोषित कर दें, राहत शिविर खोल दें, फिर अगले साल फिर से शुरुआत।
क्या हम भारतीय जनता को बच्चों के लिए सुरक्षित शिक्षा का अधिकार नहीं दे सकते?
ये सिर्फ बारिश नहीं है... ये हमारी नीतिगत असफलता है।
Vikash Gupta
जुलाई 21, 2024 AT 06:29मैंने देखा है-एक बूढ़ी दादी अपने बच्चे के लिए एक छोटा सा खिलौना बना रही थी, कागज के टुकड़ों से।
एक लड़का जिसने अपनी किताबें बचाकर रखी थीं, और रोज एक पन्ना पढ़ रहा था।
ये बाढ़ नहीं, इंसानियत की जीत है।
हमारे जैसे लोग जो सिर्फ छुट्टी की बात करते हैं, वो नहीं जानते कि ये छुट्टी किसकी कीमत पर आई है।
मैं गुजरात से हूँ, लेकिन ये दृश्य मुझे लगा जैसे केरल मेरा घर हो।
हम अपने बच्चों को सिखाते हैं-'मदद करो, बिना पूछे'।
और यहीं, इसी बारिश में, वो सिखाया जा रहा है।
Aayush Bhardwaj
जुलाई 21, 2024 AT 16:29Deepak Vishwkarma
जुलाई 23, 2024 AT 09:59Biju k
जुलाई 25, 2024 AT 02:49हर बारिश के बाद नई शुरुआत होती है।
बच्चे घर पर हैं? अच्छा हुआ! अब वो अपने घर के आसपास की दुनिया सीखेंगे।
राहत शिविर में लोग मिल रहे हैं? अच्छा हुआ! अब वो एक-दूसरे को जानेंगे।
ये नहीं कि हम बारिश से डर रहे हैं... हम बारिश के साथ गाना गा रहे हैं।
जी लो, बारिश के साथ।
Arun Kumar
जुलाई 26, 2024 AT 06:56इस बारिश में भी एक रौशनी है।
Roy Brock
जुलाई 27, 2024 AT 01:09पर हम तो जानते हैं कि ये शिविर नहीं, एक बर्बरता का नाम है...
जहाँ बच्चे अपनी किताबें छोड़ देते हैं...
जहाँ माँएँ बिना बाथरूम के रहती हैं...
जहाँ दादा अपने दवाई का इंतजार करते हैं...
और हम... हम तो सिर्फ इतना कहते हैं-'छुट्टी है'।
ये नहीं कि हम बारिश से डरते हैं... हम अपनी बेकारी से डरते हैं।
Anurag goswami
जुलाई 27, 2024 AT 21:01mohit malhotra
जुलाई 29, 2024 AT 07:33इसके अलावा, डिजिटल साक्षरता के स्तर को बढ़ाने के लिए लोकल नेटवर्क के माध्यम से ऑनलाइन लर्निंग मॉड्यूल्स का प्रसार किया जा सकता है।
इस प्रकार, शिक्षा का अधिगम एक अनिवार्य सामाजिक अधिकार बन जाता है, न कि एक आपातकालीन व्यवस्था।
Saksham Singh
जुलाई 30, 2024 AT 19:24हम सब यही बात करते रहते हैं-'छुट्टी है', 'राहत शिविर है', 'कलेक्टर ने आदेश दिया'।
लेकिन कौन बदलेगा? कौन जिम्मेदार होगा? कौन अपने घर के बाहर निकलकर एक नहर खोदेगा?
हम तो बस अपने फोन पर लिखते हैं-'क्या हुआ?'
और फिर अगले साल फिर से बारिश होगी।
और हम फिर से छुट्टी घोषित करेंगे।
ये नहीं कि हम बारिश से डरते हैं... हम अपनी आलस्य से डरते हैं।
Deepanker Choubey
जुलाई 30, 2024 AT 21:21और वो बच्चा बोला-'माँ, कल मैं स्कूल जाऊंगा।'
मैंने रो दिया। 😢
हम तो बस छुट्टी की बात कर रहे हैं... वो तो जीने की बात कर रही थी।
Akshay Gulhane
जुलाई 30, 2024 AT 22:34क्या हम बारिश के बाद स्कूलों को बहाल करने के बजाय... उन्हें बारिश के लिए डिज़ाइन कर सकते हैं?
Ashish Bajwal
अगस्त 1, 2024 AT 01:25Prashant Kumar
अगस्त 2, 2024 AT 09:26Sunayana Pattnaik
अगस्त 2, 2024 AT 14:31Prince Nuel
अगस्त 2, 2024 AT 23:07Deepanker Choubey
अगस्त 3, 2024 AT 05:23हम सब यहीं बातें कर रहे हैं... लेकिन वो बच्चा तो जी रहा था।
हमें बस उसकी तरह जीना सीखना है। ❤️