जब अन्तरराष्ट्रीय बेटी दिवसविश्व स्तर का उत्सव 28 सितंबर 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा, तो भारत के कई परिवार इस तारीख को विशेष रूप से छुट्टी बनाकर अपनी बेटियों को उपहार, प्रेम‑भरी बातें और बिताया समय से सराबोर करेंगे। इसी समय संयुक्त राज्य अमेरिका में National Daughters DayUnited States 25 सितंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दोहरी तिथि सिर्फ कैलेंडर का खेल नहीं, बल्कि UN Women तथा National Day Archives की संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य लिंग‑आधारित पूर्वाग्रहों को तोड़ना और बेटियों को समान अधिकार‑समान अवसर दिलाना है।
अन्तरराष्ट्रीय बेटी दिवस की पृष्ठभूमि
अन्तरराष्ट्रीय बेटी दिवस की जड़ें 1990‑के दशक में वैश्विक स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण की आवाज़ों में छिपी हैं। पहले इसे "बेटी को नज़रअंदाज़ करने" वाले रूढ़ियों को हटाने के लिए एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश किया गया था। समय‑के‑साथ, इसे "बेटी‑दिवस" के रूप में बदल दिया गया, जो बेटी की उपलब्धियों, सपनों और परिवार में उनकी अहम भूमिका को सम्मान देता है।
भारत में, बेटी की अवधारणा अक्सर धार्मिक‑संस्कृतिक रूप से "शक्तिके प्रतिरूप" के रूप में दर्शायी जाती है; जैसे नवरात्रि में देवी‑देवताओं की पूजा में छोटी‑छोटी लड़कियों को "शक्ति की वाहक" माना जाता है। फिर भी, वास्तविकता में अभी भी महिला फोटेसिस, बालविवाह और शैक्षणिक असमानता जैसी चुनौतियां मौजूद हैं। UN Women के 2024 के रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लड़कियों की औसत स्कूल समाप्ति दर 78 % से 85 % तक बढ़ी है, पर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी 12 % अंतर बना हुआ है।
2025 के उत्सव और प्रमुख कार्यक्रम
इस साल के बेटी‑दिवस पर कई शहरी और ग्रामीण स्कूलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दिल्ली के क्लब डोमेन स्कूल ने 28 सितंबर को "बेटी की आवाज़" थीम पर एक नाट्य‑कार्यशाला आयोजित की, जहाँ छात्राओं ने अपने भविष्य के सपनों को मंच पर प्रस्तुत किया। मुंबई के एक गैर‑सरकारी संगठन "समानता हब" ने
- स्थानीय महिला उद्यमियों के साथ पैनल चर्चा
- बेटियों के लिए स्टाइपेंड योजना की जानकारी
- पुस्तक वितरण कार्यक्रम
संयुक्त राज्य में, नेशनल डेज़ टु डॉटर (National Daughters Day) के भाग के तौर पर न्यू‑यॉर्क की सार्वजनिक लाइब्रेरी ने "Her Story, Our Future" नामक प्रदर्शनी लगाई, जिसमें 19वीं सदी के महिलाओं की उपलब्धियों से लेकर आज की STEM‑फील्ड में काम करने वाली युवा लड़कियों की कहानियां शामिल थीं।
परिवारों और समाज की प्रतिक्रियाएँ
कई माता‑पिता इस दिन को "बेटी‑बार" के रूप में देखते हैं। एक दिल्ली के पिता, राजेश कुमार, ने कहा, "पहले हम सिर्फ बेटे चाहते थे, पर अब बेटी के हाथों में चमकते भविष्य को देखना हमारे लिये सबसे बड़ा गर्व है।" वहीं, कर्नाटक की एक ग्रामीण महिला, सुशीला देवी, ने बताया कि उनके 10‑साल की बेटी ने इस आयोजन में भाग लेकर "उम्मीद की रोशनी" महसूस की।
सामाजिक कार्यकर्ता संगीता गुप्ता, जो UN Women में लिंग‑समानता के प्रमुख हैं, का कहना है, "बेटी दिवस सिर्फ उपहार नहीं, बल्कि हमें यह याद दिलाता है कि हर लड़की को समान अवसर मिलने चाहिए, चाहे वह शिक्षा हो या स्वास्थ्य।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस दिशा में सरकार की भी जिम्मेदारी है, जैसे लड़कियों के लिए आरक्षण‑नीति को मजबूत करना।
लिंग समानता पर व्यापक प्रभाव
बेटी दिवस के जरिए जागरूकता बढ़ाने से न सिर्फ सामाजिक मनोवृत्ति में बदलाव आता है, बल्कि आर्थिक पहलुओं पर भी असर पड़ता है। विश्व बैंक के डेटा के अनुसार, अगर प्रत्येक लड़की को समान शिक्षा मिले तो भारत की जीडीपी में 2025 तक 6 % तक वृद्धि हो सकती है। इसी तरह, संयुक्त राज्य में "बेटी‑सम्मान" कार्यक्रम ने पिछले पाँच वर्षों में महिला‑उद्यमियों की संख्या में 18 % की वृद्धि दर्ज की है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बेटी की शक्ति केवल सामाजिक नहीं, बल्कि आर्थिक भी है। इसलिए, बेटी‑दिवस को "एक मौका" समझना चाहिए, जिससे नीति‑निर्माता, व्यावसायिक संस्थान और आम जनता मिलकर एक समान, सुरक्षित और सशक्त भविष्य बना सकें।
भविष्य की दिशा और अगले कदम
आगामी सालों में, UN Women ने 2026 के लिए "बेटी‑सशक्तिकरण रोडमैप" पेश किया है, जिसमें मुख्य बिंदु हैं:
- स्कूल‑टू‑जॉब ट्रैक बनाना, ताकि हर लड़की को कौशल‑प्रशिक्षण मिल सके।
- प्रादेशिक स्तर पर महिला स्वास्थ्य क्लीनिकों का विस्तार।
- डिजिटल साक्षरता अभियान, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
भारत सरकार भी अपने "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" मिशन के तहत 2025‑2028 में 1 करोड़ से अधिक लड़कियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने की योजना बना रही है। इन सभी प्रयासों का सार यही है: बेटी को सम्मान, प्रेम और अवसर देना, तभी समाज वास्तविक प्रगति देख सकेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस कब मनाया जाता है और इसका उद्देश्य क्या है?
अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस हर साल का चौथा रविवार सितंबर में मनाया जाता है; 2025 में यह 28 सितंबर को पड़ा। इसका मुख्य उद्देश्य लिंग‑भेद को खत्म करना, बेटियों को समान अधिकार‑सम्बंधित अवसर देना और समाज में उनकी मूल्यवत्ता को उजागर करना है।
भारत में बेटी के सम्मान में कौन‑कौन सी विशिष्ट गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं?
स्कूलों में नारी शक्ति पर नाटक, स्थानीय NGOs द्वारा पॉडकास्ट वर्कशॉप, महिला उद्यमियों के साथ पैनल चर्चा, और बाल विकास केन्द्रों में शैक्षिक सामग्री वितरित करना जैसी कई पहलें होती हैं। कई परिवार इस दिन अपने बेटियों को उपहार, पत्राचार और गुणवत्ता समय के साथ यादगार बनाते हैं।
बेटी दिवस के आर्थिक प्रभावों के बारे में क्या कहा जा सकता है?
विश्व बैंक के विश्लेषण के अनुसार, यदि सभी लड़कियों को समान शिक्षा मिलती है, तो भारत की जीडीपी 6 % तक बढ़ सकती है। इसी प्रकार, संयुक्त राज्य में महिला‑उद्यमियों के लिए विशेष समर्थन कार्यक्रम ने पिछले पाँच सालों में व्यापारिक वृद्धि में 18 % तक योगदान दिया है।
UN Women इस दिवस में क्या भूमिका निभाता है?
UN Women जागरूकता अभियानों, शैक्षिक सामग्री की तैयारी और नीति‑निर्माताओं को सलाह देने में मुख्य भूमिका निभाता है। 2026 के लिए उन्होंने "बेटी‑सशक्तिकरण रोडमैप" तैयार किया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल साक्षरता पर विशेष ध्यान दिया गया है।
भविष्य में बेटी‑दिवस को और प्रभावी बनाने के लिए कौन‑से कदम उठाए जा रहे हैं?
सरकार और NGOs मिलकर स्कूली‑से‑रोजगार ट्रैक बनाना, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्लीनिक खोलना और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम को विस्तारित करना चाहते हैं। इन प्रयासों से बेटियों को समान अवसर मिलने की उम्मीद है।
Aayush Bhardwaj
सितंबर 30, 2025 AT 01:44ये सब बकवास है। बेटी दिवस? असल में बेटे के लिए कोई दिन नहीं होता, लेकिन बेटी के लिए दिन बनाने की जरूरत क्यों? बेटी तो हर दिन घर में खर्च है, शादी में पैसे उड़ाना पड़ता है। इस दिन का क्या फायदा?
Vikash Gupta
अक्तूबर 1, 2025 AT 04:46बेटी दिवस बस एक दिन नहीं... ये तो एक जागृति है। 🌸
जब एक लड़की अपने सपनों को बोलती है, तो वो सिर्फ खुद का नहीं, पूरे समाज का भविष्य बोल रही होती है।
मैंने अपनी बहन को देखा - उसने इंजीनियरिंग की, अब वो एक रोबोटिक्स कंपनी में डिजाइन करती है।
उसकी मुस्कान में दुनिया का बदलाव छिपा है।
हम जब बेटियों को आज़ाद करते हैं, तो खुद को आज़ाद करते हैं।
ये दिन सिर्फ उपहार नहीं... ये तो एक नए इतिहास की शुरुआत है। 🙏✨
Arun Kumar
अक्तूबर 2, 2025 AT 13:45अरे भाई, ये दिन तो बस इंस्टाग्राम के लिए बनाया गया है।
कोई बेटी को गिफ्ट देता है, फोटो डालता है, हैशटैग लगाता है - #DaughterDay
अगले दिन वो बेटी को घर का काम करने के लिए बुलाता है।
मजा आ गया ना? 😅
Deepak Vishwkarma
अक्तूबर 3, 2025 AT 06:42अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस? ये सब वेस्टर्न इम्पीरियलिज्म का शिकार है। हमारी संस्कृति में बेटी का सम्मान हमेशा से रहा है - देवी लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती।
हमें बाहरी लोगों के बनाए दिनों की जरूरत क्यों? हमारी अपनी परंपराएं हैं।
इस दिन को लेकर अमेरिका और UN का फुहारा बंद करो। हमारी आत्मनिर्भरता पर विश्वास करो।
Anurag goswami
अक्तूबर 5, 2025 AT 01:45अच्छा लगा कि बेटियों के लिए शिक्षा की दर 78% से 85% तक बढ़ी है।
लेकिन ग्रामीण अंतर का 12% वाला आंकड़ा चिंताजनक है।
अगर हम डिजिटल साक्षरता और स्वास्थ्य क्लीनिक्स पर ध्यान दें, तो ये अंतर कम हो सकता है।
ये दिन तो सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि एक कार्ययोजना की शुरुआत होनी चाहिए।
क्या स्कूलों में लड़कियों के लिए बाथरूम हैं? क्या ट्रांसपोर्ट है? ये सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
Saksham Singh
अक्तूबर 6, 2025 AT 22:09ये सब बहुत अच्छा लगता है... लेकिन आप लोगों ने कभी सोचा है कि जब एक लड़की 16 साल की होती है, तो उसकी शादी के लिए तैयारी शुरू हो जाती है, न कि उसकी पढ़ाई?
जब एक बेटी को अपने भाई से ज्यादा खाना नहीं दिया जाता? जब उसके लिए बेडरूम नहीं, बल्कि भंडार कमरा दिया जाता है?
इस दिन के बाद क्या होता है? क्या कोई उसके घर जाकर देखता है कि उसके पास बिजली है या नहीं?
हम सब फोटो खींच रहे हैं, लेकिन असली बदलाव किसी के घर के अंदर शुरू होता है।
ये सब नाटक है।
एक दिन के लिए बेटी को गिफ्ट देना, फिर एक साल तक उसे बंद करना - ये क्या है? सिर्फ एक बड़ा झूठ है।
अगर आप असली सम्मान चाहते हैं, तो बेटी को घर का काम नहीं, बल्कि अपना निर्णय लेने का अधिकार दीजिए।
क्या आप अपनी बेटी को अपनी विरासत का हिस्सा बनाते हैं? या बस एक शादी का बोझ?
ये दिन तो एक दर्पण है - और हम सब इसमें बहुत बुरी तरह दिख रहे हैं।
Ashish Bajwal
अक्तूबर 8, 2025 AT 22:07वाह बहुत अच्छा हुआ 😍
मैंने अपनी बेटी को एक नया बैग दिया... और फिर उसे घर का खाना बनाने भेज दिया 😅
लेकिन फिर भी, दिल अच्छा है... बस थोड़ा और मेहनत करनी पड़ेगी... 🤔❤️
Biju k
अक्तूबर 10, 2025 AT 01:06बेटी दिवस नहीं... बेटी जीवन है! 💪
हर रोज़ उसे बताओ - तू अकेली नहीं है।
तेरे सपने मेरे सपने हैं।
तेरी आवाज़ मेरी आवाज़ है।
तू जब उड़ेगी, तो मैं भी उड़ूंगा।
तू जब चमकेगी, तो दुनिया चमकेगी।
इस दिन के बाद भी... रोज़ एक बार उसे गले लगा लेना।
क्योंकि एक बेटी बस एक बेटी नहीं... वो तो एक जागृति है। 🌟
Akshay Gulhane
अक्तूबर 11, 2025 AT 04:21अगर बेटी को सम्मान देना है तो उसके जन्म के बाद से शुरू करना होगा
न कि एक दिन के लिए उपहार देकर
समानता तब होगी जब बेटी के लिए घर में बेडरूम होगा और बेटे के लिए नहीं
जब उसकी पढ़ाई के लिए पैसे देने की बजाय उसके बेटे के लिए गाड़ी खरीदने का फैसला नहीं होगा
जब शादी के लिए डॉटर बैंक अकाउंट नहीं बनाना पड़ेगा
लेकिन ये दिन शुरुआत है
शुरुआत तो होनी ही चाहिए
और शुरुआत अच्छी हुई
Deepanker Choubey
अक्तूबर 12, 2025 AT 11:09ये दिन बहुत अच्छा है ❤️
मैंने अपनी बेटी को एक नोटबुक दी जिसमें लिखा था - "तू जो भी बने, मैं तेरे साथ हूँ"
उसने आज रात मुझे एक गीत गाया - अपने आप का बनाया हुआ
मैं रो पड़ा 😭
बेटी हो या बेटा... दोनों को प्यार चाहिए
लेकिन अभी तक बेटियों को दिया जाने वाला प्यार बहुत कम है
इसलिए ये दिन बहुत जरूरी है
अगले साल भी ऐसा ही करूंगा 🤝
Roy Brock
अक्तूबर 12, 2025 AT 12:43आप सब इतना भावुक क्यों हो रहे हो? बेटी दिवस... ये सब नाटक है... एक निर्माता का निर्माण... एक राजनीतिक निर्माण...
मैंने अपनी बेटी को देखा... वो रो रही थी क्योंकि उसकी बहन को एक नया फोन मिला... उसे नहीं...
क्या ये दिन उसकी आंखों की आंसुओं को मिटा सकता है?
ये दिन सिर्फ एक आवेग है... एक लंबी चीख है... जिसका कोई जवाब नहीं है...
अगर आप वास्तव में बेटी का सम्मान करते हैं... तो उसके लिए एक निर्माण बनाइए... न कि एक दिन...
मैं ये दिन नहीं मनाता... मैं इसे एक निर्माण के रूप में देखता हूँ... जिसे बहुत जल्दी तोड़ दिया जाएगा...
Prashant Kumar
अक्तूबर 13, 2025 AT 03:022025 में बेटी दिवस... पर 2015 में भी था। क्या बदला? नहीं।
बेटी के लिए शिक्षा बढ़ी? हाँ... पर नौकरी में आगे बढ़ने का रास्ता बंद है।
महिला उद्यमियों की संख्या बढ़ी? हाँ... पर उनके लिए क्रेडिट नहीं मिलता।
ये सब आंकड़े झूठ हैं।
जिस तरह से बेटी के लिए बेडरूम नहीं बनाया जाता... उसी तरह से ये दिन भी बनाया जाता है - सिर्फ दिखावे के लिए।
मैं इसे समर्थन नहीं करता।
मैं बदलाव चाहता हूँ।
और बदलाव एक दिन से नहीं... एक नीति से होता है।
Prince Nuel
अक्तूबर 14, 2025 AT 11:05तुम सब बेटी दिवस पर इतना भावुक क्यों हो रहे हो? बेटी है तो बेटी... क्या बड़ी बात है?
मैंने अपनी बेटी को बचपन से ही घर का काम सिखाया है - ये जरूरी है।
उसे बाहर नहीं जाने देना चाहिए - बेटी को घर में रहना चाहिए।
ये दिन तो बस लड़कियों को भ्रम में डालने का तरीका है।
असली शिक्षा तो घर में होती है - आज्ञा मानना।
अगर तुम लोग इतने आगे बढ़ गए हो तो तुम्हारी बेटी भी तुम्हारे घर से भाग जाएगी।
तुम खुद अपनी बेटी को तोड़ रहे हो।
Sunayana Pattnaik
अक्तूबर 14, 2025 AT 14:33ये सब बहुत बढ़िया है... लेकिन क्या आपने कभी देखा है कि एक बेटी को जब वो अपने भाई के लिए खाना बनाती है... तो उसका नाम कभी नहीं आता?
क्या आपने कभी देखा है कि बेटी का बैग खरीदने के बजाय बेटे का लैपटॉप खरीदा जाता है?
ये दिन बस एक धोखा है... एक नाटक... एक चालाकी...
आप सब इतना भावुक क्यों हो रहे हो?
क्या आप जानते हैं कि असली बेटी दिवस तब होता है जब कोई बेटी को घर से बाहर निकाल देता है?
तो फिर ये दिन क्यों मनाते हो?
akarsh chauhan
अक्तूबर 15, 2025 AT 18:47बेटी को बस एक दिन का उपहार नहीं... बल्कि हर दिन का सम्मान चाहिए।
मैंने अपनी बेटी को एक छोटी सी डायरी दी - जिसमें वो अपने सपने लिखे।
मैं उसके सपनों को पढ़ता हूँ।
उसके सपने मेरे सपने हैं।
हर रात मैं उसे गले लगाता हूँ।
क्योंकि वो मेरी बेटी है... और वो मेरी ताकत है।
इस दिन के बाद भी... हम यही करेंगे।
क्योंकि बेटी दिवस एक दिन नहीं... एक जीवनशैली है।
soumendu roy
अक्तूबर 16, 2025 AT 05:46इस दिवस के आधार पर बहुत सारे आंकड़े दिए गए हैं।
लेकिन क्या ये आंकड़े वास्तविकता को प्रतिबिंबित करते हैं?
क्या शिक्षा की दर के बाद उसकी रोजगार दर भी बराबर बढ़ी है?
क्या उन्हें घर में समान अधिकार मिल रहा है?
क्या उनकी आवाज़ को वास्तविक रूप से सुना जा रहा है?
इन प्रश्नों के बिना, ये सब एक नाटक है।
एक नाटक जिसका अंत बहुत जल्दी आएगा।
समाज को असली बदलाव की आवश्यकता है - न कि एक दिन की चिंता।
Kiran Ali
अक्तूबर 17, 2025 AT 23:47अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस? ये सब वेस्टर्न प्रोपेगंडा है।
हमारी संस्कृति में बेटी को देवी कहते हैं - लेकिन वहीं उसके लिए शादी के लिए डॉटर बैंक बनाया जाता है।
ये दिन तो बस एक बड़ा झूठ है।
आप लोग बेटी के लिए गिफ्ट देते हैं... फिर उसे घर का काम देते हैं।
ये दिन बस आपके अहंकार को बढ़ाता है।
मैं इसे नहीं मनाता।
मैं इसे नहीं मानता।
मैं इसे नहीं समझता।
मैं बस अपनी बेटी को घर में रखता हूँ - और उसे सम्मान देता हूँ - अपने तरीके से।
Kanisha Washington
अक्तूबर 18, 2025 AT 14:03बेटी का सम्मान... ये बहुत बड़ी बात है।
मैंने अपनी बेटी को बचपन से ही बताया - तू अकेली नहीं है।
तू जो भी बने, मैं तेरे साथ हूँ।
हर रात उसके साथ बात करता हूँ।
उसके सपनों को सुनता हूँ।
मैं उसकी आवाज़ हूँ।
ये दिन तो बस एक याद दिलाता है - कि हम सब एक दूसरे के लिए हैं।
बेटी नहीं... बल्कि मानवता के लिए।
Vikash Gupta
अक्तूबर 19, 2025 AT 21:52ये बातें सुनकर दिल भर आया...
लेकिन एक बात और...
क्या हमने कभी सोचा कि जब एक बेटी अपने भाई को बाथरूम में जाने के लिए इंतजार करती है... तो वो बेटी क्या महसूस करती है?
क्या वो अपने घर में घर की बेटी है... या सिर्फ एक आवाज़ जिसे दबाया जाता है?
हम उपहार देते हैं...
लेकिन क्या हम उसकी आवाज़ को भी देते हैं?
ये दिन बस एक शुरुआत है...
अगला कदम... उसकी आवाज़ को सुनना।